Book Title: Natak Ho To Aise
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 30
________________ 30. मुक्ति- कॉमिक्स पर जैसे ही घर के बाहर आता है तो वह देखता है कि अरे वाह! धन्य भाग हमारे, अतिथि-पूजा सत्कार का महान सुअवसर / मुनिराज !, लगता है साक्षात् मोक्षमार्ग ही हमारे द्वार पर चलकर आ रहा हो। महान पुष्योदय से अंगारक पत्नी सहित : मुनिराज को पड़गाहन कर आहार देता है। तभी घर के आंगन में वृक्ष पर बैठा भूखा मोर नीचे उतर आता है |

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