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नाटक हों तो ऐसे.
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अच्छा तो ये बात थी अब समझा कि ...
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१.अरे पेटू! अब पता चला कि तेरे पास समझदारी भी है। बोल तू क्या कह रहा था.
मैं अभी कुछ दिनों से ब्रह्मगुलाल को जंगल में कुछ नम्न साधुओं के पास पड़तालिखता दख रहा.
कमाल है,साधु टोने के लिए इतने दिनों से कठोर अभ्यास ---- सच्के, साधु बनने के पहले साधु का जीवन समझना आवश्यक
पर मेरी तो कुछ और ही समझ में आ रहा है। राजा ने साधु का नाटक करने का कहकर पुत्र की मृत्यु का बदला । तो नहीं लिया है ?
ताकि नगा साधु लोकर भूख-प्यास तथा अन्य तकलीफें सह- सहकर
भर आये.