Book Title: Natak Ho To Aise
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 12
________________ 12 मुक्ति कामिक्स प्रातः ब्रह्मगुलाल ने माँ से अपनी समस्या कही, तो माँ रोने लगी. अरी माँ ! तू शेती क्यों है? क्या तुके अपने की योग्यता पर ) विश्वास नहीं ? पुब पर आखिर क्यूँ ? मेरे लाल ! माँ सब कुछ सह सकती है पर पुत्र वियोग नहीं, और दिगम्बर वेश धारण करके पुन: दूसरा भेष नहीं रखा जाता, अतः वियोग 'निश्चित है।' अरे बेटे ! क्या अपने दूध से पाले-पोषे पुत्र की योग्यता का ज्ञान नहीं ? रे मूर्ख! तेरी योग्यता पर विश्वास होने से ही रो रही हूँ। माँ ठीक ही तो कहती है ।

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