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मुक्ति कामिक्स
प्रातः ब्रह्मगुलाल ने माँ से अपनी समस्या कही, तो माँ रोने लगी.
अरी माँ ! तू शेती क्यों है? क्या तुके अपने की योग्यता पर ) विश्वास नहीं ?
पुब
पर आखिर क्यूँ ?
मेरे लाल ! माँ सब कुछ सह सकती है पर पुत्र वियोग नहीं, और दिगम्बर वेश धारण करके पुन: दूसरा भेष नहीं रखा जाता, अतः वियोग 'निश्चित है।'
अरे बेटे ! क्या अपने दूध से पाले-पोषे पुत्र की योग्यता का ज्ञान नहीं ? रे मूर्ख! तेरी योग्यता पर विश्वास होने से ही रो रही हूँ।
माँ ठीक ही तो कहती है ।