Book Title: Naishadhiya Charitam
Author(s): Sheshraj Sharma
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office

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Page 1049
________________ नैषधीयचरितं महाकाव्यम् सङ्ख्यावतः= "सङ्ख्यावान् पण्डितः कविः" / वाङ्मुखानि = "उपन्यासस्तु वाङ्मयम्" इति चामरः।। भाव:--त्रिभुवनविबुधसमज्या सम्भृतिरेषा पुरा नाभून् / न च भवित्ता वा भूयः तस्माच्छ्रावय सुवाग्विन्यासम् / / .. अनुवादः--तीनों लोकों के पण्डितों से विभूषित ऐसी सभा पहले कभी नहीं हुई थी, न आगे होगी, इसलिये तुम इस सभा में पण्डितों को अपने सुन्दर वाक्य रचनाओं को राजाओं के प्रशंसा के व्याज से सुनाओ // 72 // इतीरिता तच्चरणात् परागं गीर्वाणचूडामणिमृष्टशेषम् / तस्य प्रसादेन सहाज्ञयाऽसावादाय मूर्नाऽऽदरिणी बभार / / 73 / / अन्वयः-इति ईरिता असो तस्य चरणात् गीर्वाणचूडामणिमृष्टशेषम् परागम् तस्य आज्ञया प्रसादेन सह आदरिणी मूर्ना बभार / प्याख्या-इति = उक्तप्रकारेण, ईरिता= उक्ता, असौ = सरस्वती, गीर्वाणचूडामणिमृष्टशेषम् = देवमौलिमणिप्रोञ्छनावशिष्टम्, परागम् = रजः; तस्य = भगवतः, आज्ञया = अनुशासनेन, प्रसादेन = अनुग्रहेण, सह = सार्धम्, आदरिणी = अहता, मूर्ना = शिरसा, बभार = धृतवती। टिप्पणी-गीर्वाण चूडामणिमृष्टशेषम् = गीर्वाणानां चूडामणय, तैः मृष्टाद शेषम् (10 तत्पु० तृ० तत्पु० प० तत्पु०)। भाव:-विबुधशिरोमणिमृष्टात् परिशिष्टं तत्पदाब्जरजः / दध्ने सा वाग्देवी साकमाज्ञया प्रसादेन / अनुवाव:-इस प्रकार भगवान् विष्णु से कहने पर भगवती शारदा ने देवताओं के मस्तकमणि से पोंछने से बचे उनके चरणरज के आज्ञारूप अनुग्रह के साथ शिर झुका कर स्वीकार कर लिया // 73 // मध्येसभं साऽवततार बाला गन्धर्वविद्यामयकण्ठनाला। त्रयीमयीभूतवलीविभङ्गा साहित्यनिर्वतितदृक्तरङ्गा // 74 // अन्वयः-सा मध्येसभम् अवततार (कीदृशी सा बाला ) गन्धर्वविद्यामयकण्ठनाला त्रयीमयीभूतवलीतरङ्गा, साहित्यनिर्वतितक्तरङ्गा / ग्याल्या-सा = वाग्देवी, मध्येसभम् = सभामध्ये, अवततार = अवातरत्, कीदृशी सा बाला, गान्धर्वविद्यामयकण्ठनाला = गानविद्यारूपकण्ठप्रणालिका,

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