Book Title: Naishadhiya Charitam
Author(s): Sheshraj Sharma
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office
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________________ पसमा सः . 65 लेखनी से अङ्गुलियां मसी से केश समूह एवं खड़ी से स्मित की शोभा बनाई मई // 7 // या। सोमसिद्धान्तमयाननेव शून्यात्मतावादमयोदरेव / विज्ञानसामस्त्यमयान्तरेव साकरतासिद्धिमयाखिलेव / / 88 // अन्वयः-या सोमसिद्धान्तमयाननेव शून्यात्मवादमध्योदरेव विज्ञानसामस्त्यमयान्तरेव साकारतासिद्धिमयाखिला इव (स्थिता देवी मध्यसभं अवततार)। पाल्पा-या= सरस्वती, सोमसिदान्तमयानना इव-सोमसिद्धान्तः= कापालिकदर्शनम्, पूर्णचन्द्रश्च तत्स्वरूपमुखी इव, शून्यात्मवादमध्योदरा इव = अन्यात्मवादिवोदः तसिद्धान्तमयं कृशश्च मध्योदरं यस्या सा इव / विज्ञानसामस्त्यमयान्तरा-निराकारविज्ञानमात्रस्य साकल्यं तत्स्वरूपमर्थविशिष्टज्ञानसम्पत्तिश्च तन्मया अखिलं यस्या सा इव सेव स्थिता सरस्वती मध्येसभमवततार / टिप्पणी-सोमसिद्धान्तमयानना = सोमसिद्धान्तमयमाननं यस्या सा सोमसिद्धान्तमयानना (बहुव्रीहिः)। शून्यात्मवादमध्योदरा-शून्यात्मतावादमयमुदरं यस्य सा (बहुव्रीहिः)। विज्ञानसामस्त्यमयान्तरा= विज्ञानसामस्स्यमयमन्तरं बस्था सा (ब० वी०)। साकारतासिदिमयाखिला इव साकारता सिद्धिमयमविसं पस्या सा (ब० बी० ) / मा-चोदोक्तसिद्धान्तचतुष्टषीव पूर्णेन्दुवक्त्रा च कृशोदरी च / - प्रकाशिचित्रान्वितभव्यरूपा मध्येसभं सावततार बाला // मर-जो सरस्वती देवी कापालिकदर्शनस्वरूप, वा पूर्णचन्द्रस्वरूपमुखवाकीयात्मावादस्वरूप, वा कुम उदर वाली विज्ञानमय वा अर्थविशिष्ट भान या आत्मावाली ज्ञानमय सारे अङ्क बाली थी वह उस स्वयंवर सभा के बीच अवतरित हुई / / 88 // भीमस्तयाऽमद्यत मोदितुं ते वेला किलयं तदलं विषध। . - मया निगाचं जगतीपतीनां गोत्र चरित्रञ्च यथावदेषाम् // 9 // सपा-अथ भीमः तया अगवत, हे नृप इयं ते मोदितुं वेला किल, सद विषय अलम, एषां जगतीपतीना, गोत्रं कुलं चरित्रं च मया यथावत् निमाद्यम् / भाषा-अब- आगमनानन्तरम्, तया-सरस्वत्या, भीमः -कुण्डिनेशः; जमवत उक्तः, हे नुप- राजन, इवम् = एषा, तव भवतः, मोदितम् % बाला॥

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