Book Title: Na Cha Ratnamalika
Author(s): Sastra Sharma, Surati Narayanmani Tripathi
Publisher: Varanaseya Sanskrit Vishvavidyalay

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकृष्टया शेमुष्या समुद्भावितेन 'नूतनालोक'नाम्ना व्याख्याग्रन्थेन सुविशदं विवृतस्तदीयेने सुहृदा श्रीरामशर्मविदुषा समुपहृतया भन्यभूमिकयाऽभिभूषितश्च नव्यन्यायनीरधेरुत्तुङ्गतरङ्गमाणय मनोविनोदकामानां नैयायिकानां नितान्तं काम्य इत्यनया भावनयाऽस्माभिरस्य संस्कृतविश्व विद्यालयप्रकाश्येष्वन्तर्भावस्य सम्यक्त्वं विभाव्य साम्प्रतमयं सम्मुद्रथ विदुषां समक्षं सबहुमानमुप ह्रियते । तदद्य सम्भाविसामुद्रणत्रुटीर्मर्षयन्तो मनीषिणोऽनया 'न च रत्नमालिकया' अमन्द मानन्दमनुविन्देयुरिति कामयते । सुरतिनारायणमणित्रिपाठी वाराणसेयसंस्कृत विश्वविद्यालयस्य उपकुलपतिः For Private And Personal Use Only

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