Book Title: Mangalkalash Rasmala
Author(s): Tirthbhadravijay
Publisher: Shraman Seva Religious Trust

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Page 7
________________ वैराग्यदेशनाध्क्ष प.पू. सा. श्रीमल्यं द्रसूरीश्वर ज्ञानाहिगुणोपेत गणिवर्य श्री तीर्थद्रविभ्य स्वाध्यायाहिनिस्त मुनिमंडल योग वहना, शांता शे महाराभ तरइया तथा मंगल डलश नाम सेधु डाम... हर्शनानंह थयो . अबंधोना आईच्य लावा श सुधिर अंतर्मुखता दिना होता नया निशासननु हाई चा अंतर्भुता छे, અંતર્મુખ સાધકોથી સમૃ છે, ये अनु. खाप सर्वेनी साधना ने मिल नवा शिजरोने सर करती रहे, तरना य વ્રતના शुभाशिष पाइ शेष लमारा किनशासन से कोड में खा व्यक्ति अने सेवा सवरनयार स्थ धन्यता Jain Education International ममता सारादना वगरेना समायार रह ही रामनुमहिना था गुरुदे ५. सर पहुचंधु हिपादा विक्रमपुरा जाहिरा तमारा नावाटल चलर 81 हान् हेमचंद्र सूटि fr und Zen 412 For Personal & Private Use Only ने ह AO www.jainelibrary.org

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