Book Title: Mahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 8
________________ प्रकाशकीय अपने प्रिय पाठको के कर-कमलो मे 'महावीर युग की प्रतिनिधि कयाएँ' पुस्तक अपित कन्ते हुए हृदय आनन्द विभोर है। भगवान महावीर के द्वारा कथित बोधप्रद क्याओ का इममे सुन्दर सकलन है। कहानी माहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा है । नन्हे बालक से लेकर वृद्ध तर, मनपढ किमान मे लेकर प्रकाण्ड-पण्डित तक, गृह कार्य में अत्यधिक व्यस्त रहने वाली गहणी में लेकर राजनीति के टेढ़े-मेढे दांव-पेचो मे उलझे रहने वाले सब नेताओ नर यह प्रिय रही है। मानव सभ्यता के अरुणोदय से लेकर मध्याह्न तक कहानी जितनी जन-मन प्रिय रही है उतनी आज भी है। यही कारण है कि दर्शनकारी की मेगा गार और विष्णु शर्मा आदि कहानी लेखक अधिक लोकप्रिय हुए है। नहानियों के लेखक श्री देवेन्द्र मुनि जी शास्त्री है, जो राजस्थान केसरी, प्रगिस का चात्मयोगी श्री पुकर मुनिजी म० के सुशिष्य है । आपने साहित्य की विविध विधाओं में लिया है, गूब जमकर लिखा है। पूज्य गुरुदेव श्री के श्रीचरणो मे7- निरन्तर चिन्तन, मनन, लेयन करना आपको प्रिय है । आपने पचास से भी अधिक प्रयाग लेगन-सम्पादन किया है । ग्रन्थ के सम्पादक हैं ज्ञानेन्द्र भारिल्ल । गे ५० प्रवर शोनाचन्द्र जी मारिल के मुपुत्र हैं । प्रन्दन दन्य के प्रकाशन में जिन उदार महानुभावो ने हमे आर्थिक सहयोग प्रदान मिाह हम उनके आमारी हैं भविष्य में भी उनका मधुर महयोग मिलता रहेगा कि नियतृतन थेठ साहित्य प्रकाणित करते रहेगे। मुद्रा की दृष्टि में अन्य को मर्वाधिक सुन्दर व शुद्ध बनाने का श्रेय स्नेह नवति श्रीचन्द जी मुगना 'मग्म' को है, अन हम उनका हृदय मे आभार मन्त्री श्री तारक गुर जैन ग्रन्यालय शास्त्री सरल, उदयपुर (राज.)

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