Book Title: Mahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh Author(s): Bhagwati Prasad Khetan Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत ग्रन्थ महावीर निर्वाण भूमि पावा : एकविमर्श-पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए हमें अति प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। महावीर की निर्वाण भूमि पावा की भौगोलिक अवस्थिति की पहचान करना एक जटिल समस्या बनी हुई है। विद्वद्वर्ग गंगा के दक्षिण-पश्चिम में राजगृह के निकट स्थित पावा को महावीर की निर्वाणस्थली मानने के लिए अनेक कारणों से सहमत नहीं है। विद्वानों का निष्कर्ष यह है कि महावीर की निर्वाण स्थली वैशाली और श्रावस्ती के मध्य गंगा के उत्तर में गंडक के समीप कहीं थी। फिर भी इस सन्दर्भ में निश्चयात्मक रूप से कुछ कहना कठिन ही बना हुआ था। पाश्चात्य विद्वानों की खोज के परिणाम स्वरूप दो दृष्टिकोण सामने आये। एक दृष्टिकोण के अनुसार फाजिल नगर-सठियाँव पावा है तो कुछ के अनुसार पडरौना ही पावा है। इसी सन्दर्भ में श्री भगवती प्रसाद जी खेतान ने अत्यन्त परिश्रम पूर्वक प्रस्तुत कृति में यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि वास्तविक पावा पडरौना ही है। इस सम्बन्ध में उनके अपने तर्क और निष्कर्ष हैं जो पुष्ट एवं युक्तिसंगत प्रतीत होते हैं और विद्वद्वर्ग के लिए अवश्य ही विचारणीय हैं। प्रमुख रूप से व्यवसायी होते हुए भी उन्होंने वास्तविक पावा के अभिज्ञान के लिए जो शोधपूर्ण प्रयत्न किया है वह निश्चय ही सराहनीय है। इनके इस प्रयत्न को प्राचीन इतिहास एवं जैन विद्या के अनेक विद्वानों द्वारा प्रोत्साहन भी मिला है। ____ अतः पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान ने उनकी इस कृति को प्रकाशित करने का निश्चय किया। यद्यपि उन्होंने कठिन परिश्रम करके ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन किया था और इन तथ्यों के आधार पर यक्ति संगत निष्कर्ष निकाले भी जा सकते थे। किन्तु इस सम्पूर्ण संकलित सामग्री को विद्वद्भोग्य और प्रकाशन योग्य बनाने में कठिन परिश्रम किया संस्थान के शोधाधिकारी डा० अशोक कुमार सिंह ने। लगभग एक वर्ष तक कठिन परिश्रम करके इस कृति को यथासामर्थ्य पूरी तरह सजाया और सँवारा है। यद्यपि डा० अशोक कुमार सिंह हमारे अपने ही हैं किन्तु ग्रन्थ प्रकाशन की इस बेला में उनका आभार प्रदर्शन अपरिहार्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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