Book Title: Mahapurana Part 3
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 14
________________ विषयानुक्रमणिका अड़तीसवीं सन्धि: १-२३ अजितनाथकी बन्दना (१-२), कविकी सजनसे उदासी (२-३), सरस्वती और भरतकविको समझाना, (२), कविका उत्तर, समयकी विपरीतसाका उल्लेख, सृजनकी स्वीकृति (४-५), रचनाका उद्देश्य जिनमवित (५.६), वत्सदेया और सुसीमा नगरीका वर्णन (६-७), विमलवाहन राजाको विरक्ति और तपस्या, विजयका अनुसार विमान में जन्म (८), इन्द्रके आदेशसे कुबेर द्वारा अयोध्याकी रचना; स्वर्णवृष्टि (१), विजयादेवीका सोलह स्वप्न देखना (१०), स्वप्नफल कथन (११-१२), अजितनाथका जन्म (१२), अजित जिनका जन्माभिषेक (१३), देवों द्वारा जिनकी बन्दना (१४), विवाहका प्रस्ताद (१५), उल्कापात देखकर विक्ति (१६), लौकान्तिक देवों द्वारा सम्बोधन और स्तुति (७), दीक्षा ग्रहण करना (१८), देवेन्द्र द्वारा जिनेन्द्र की स्तुति; समवसरण की रचना (२०), जिनवर द्वारा तत्वकथन (२१), संघका वर्णन (२२)। उनतालीसवीं सम्धि: २४-४० वल्सावती देशके राजा पुण्डरीकका वर्णन (२४), राजा जयसेनका वर्णन, उसके रतिसेन और धृतसेन पुत्र, रतिसेनकी मृत्यु, पिताका शोक (२५), जितसेन दीक्षा ग्रहण करता है, जयसेन मरकर स्वर्गमें महाबलदेव हुला, उसके माथ तप करनेवाला सामन्त महारुतमी मरकर सोलहवें स्वर्ग में मणि केतु हुआ (२६), उनमें तय हुआ कि जो स्वर्ग में रहेगा, वह दूसरेको मर्त्यलोकमें जाकर उपदेश देगा, महाबलकी मृत्यु (२७), महायलका सगर के रूपमें जन्म, उसका चक्रवर्ती बनना, मणिबेतुदेवका आकर समझाना (२८), देवका अपना परिचय देना, सगरकी अनसुनो करना, मणिकेतुका मनिक रूपमें आना (२९), सगरका उनसे विरक्तिका कारण पूछना, मणिकेतुका उपदेश; सगरपर कोई प्रतिक्रिया नहीं, देवकी वापसी; सगरके साठ हजार पुष (२००३२), मगरका भरत द्वारा निर्मित मन्दिरोंकी सुरक्षाका आदेश, पुत्रों का वञ्चरत्नसे कैलासके चारों ओर साईखोदना, पानोका निकलना, खाइके रूप गंगाका कैलास पर्वतको घेरमा (३३-३४), नागभवनका प्रताड़ित होना, मणिकेतु देवका नागराज बनकर पुषोंको भस्म कर देना, भीम और भगीरथका जाकर सारा वृत्तान्त राजा सगरको बताना, दण्डी सानुका अवतरण, साधुका उपदेश, उसका वस्तुस्थिति बताना, सगरको विरक्ति और भगीरथको राजगहो मिलना (३४-३७), मणिकेतुका मृत पुत्रोंको जोषित करना, उनका दीक्षा ग्रहण करना, तपस्याका वर्णन, सगरको निर्वाण-प्राप्ति (३९-४०)। चालीसवीं सन्धि: सम्भवनायको स्तुति (४१-४२), कच्छ देशके क्षेम नगरका वर्णन (४३), राजा विमलवाहनका तप ग्रहण करना, सुदर्शन विमानमें जन्म (४४), श्रावस्तीमें इक्ष्वाकुवंशका शासन, राजा

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