Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 265
________________ *90 अण्णोष्णं वहबंधण अणो विएस जीवो अत्ताणं मारते अत्ता तुह पावडणं अत्ता फुलफ अत्ता भमरजुवाणं अत्थइरिणिहियहत्थो अत्थर होइ अणत्थर अत्थपरिमग्गरो अत्थमियसूरमंडल अत्थस्स पुण उवाया अत्थगयम्मि सूर अत्था हो अथ अत्थानाभिणिवेस अत्थाणे रोसमंतो फुड अथ रणारिबहु अथ दढमेरुणाहिं अथ पडा पुरणं अथ यासा अथ हो अथ सिद्धा अत्थि बहुकणयघडियं अथ बहुगामकलिओ अथ भुपयासो अस्थिमहं सम्मत्तं अत्थि य णिज्जरणं पि अथ कामो धम्मो अत्थो जत्थ चइज्जइ अत्थो विज्जापुरिसत्तणाइँ अत्थो विदूरओ चिय afts चिय दि अद्धं ससंकधवलं अनया जघनाभोग अप्पा वि तह विसुद्धो अप्पा सरीरमेत्तो अष्फलकडुयकुडंगो अफालिया वि ढक्का अब्भुट्ठाणं अंजलि अभियोगपराणत्ती अमरण व सा सित्ता Jain Education International २२७-३१ १९०-११ २०५-१ २६६-१८ २६६-२६ ७७-२६ ८२ - १२ २-२८ २५९-१९ ५२-३० ५७-२४ ८२-२४ १७९-१५ ४६-३ २०-५ ५०-१ ७-४ १२४-२८ १४०-१ १८५-८ २८२-४ ४५-१५ ५६ - २१ ७२-३० १३७-२८ ९७-२८ २६२-१४ २०२-२ १२-२४ ११८-८ २३१-२७ ८४-९ १५२ - २५ . २४५-१० २०३-३३ ८९ - १ २०३-१४ २६९-२८ २५४-३० १६४ - ६ कुवलयमाला अमयप्पवाहसरिसे अमरणर तिरियणारय अम्मो कीस तर हं अम्मो को कस्स पिओ अम्मो मा भण अलियं अम्मो वयण इमं अम्मोसचं एवं अम्हाण ताव धम्मो अम्हाण तुमं पुरिसो घर अम्हाणं सव्वाण वि अम्हारिसाण को अम्हारिसगँ किं जीविएण अम्हे उण णीसत्ता अम्हे घण्णाओ अहिं सोण दिट्ठो अयगोलओ व्व काओ अतो चि मूढो अरहंतणमोक्कारो ज अरहंतणमोक्कारो तम्हा अरहा जाणइ सव्वं अरहा तिलोयपुज्जो अरहा भासइ धम्मं अरहा लोग दीव अरिहंते मिऊ अरुणकरणियर भरियं अरुणकरभा सुरंगो अरुणारुणपी उि अलयापुरि व्वरम्मा अलसकिमिया दुइंदी अलिए विरमसु रमसु य अलिओ एस विप्पो अलियकयवावडत्तण अलियस्स फलं णरयं अलियं अयाणमाणो अलियं जंपसि जइया अलियं जो भणइ णरो अलियं पि हसइ लोए अल्लि यह धम्मसीलं अल्लीणम्मि वसंते २७०-१ १४३-२४ २६३-३० २६३ - २२ २६३-१८ २६३ - १४ २६३-२६ ५७-१४ २५९-४ १९२ -६ ९९-८ ९१-२७ ७०-२८ २१३-३१ १८३ - ३ २०७-१८ २७०-२४ २५०-४ २७७-२४ २७७-२५ २१७-३३ २१८-२ २१८-१ २१८-३ २८३-८ १४१-७ २३९ - २२ १६-४ १३८-१४ २०२-५ ४३-२७ २६४-३३ १७२-४ २३३ - १२ २०२-२५ ३७-३ २२०-१० २२१-११ ४४-१ ५१-३० For Private & Personal Use Only अल्लीणं पि महुयरिं अवरुद्धं ति वियाणइ अवरसमुद्दतीर पुलिणो अवरं उवेक्खणीयं अवरे चिंतंति इमं अवरे जाणंति श्चिय अवरे णाणत्थद्धा सव्वं अवरे तवगारविया अवरे बुद्धिविहूणा अवरे भणति एवं अवरे भणति कुइ अवरे भणति विहणा अवरे विव्वयरहिया अरे विहियं ति इमं अवरे सामण्णम्मि अवरोप्पर ओल्लण अवरोप्परलोयण अवरोप्परवेरविवज्जियाई अवरोह वेलावारि अव संपुणंगो अवसवसएहिं देहो अवहत्थिऊण लज्जं अवहत्थिऊण लज्जं अहत्थियलज्जो अवि कामिणियणमुहयंद अवि चलइ मेरुचूला अवि चलs मेरुचूला अवि विडइ अचिंगाल अवि धा धा धावह अवि धा धा धावह अवि धाह वाह पावह अवियाणियदोगुणा अविरहियणाणदंसण अविलंबिओ अवलो अव्वावारं दिज्जइ अव्वो अवेहि णिल्लज्ज अव्वो केणइ दिट्ठो सरल अन्वो जइ ता तुरओ अoad जणस्स मोहो अव्वो णयाणिमो चिय ३३-२५ ६१ - ३२ ९१-१० १६२-२६ ३८-३१ ८८-१९ ८८ - २३ ८८ - २४ ८८-१८ २१९-२० २१९-२१ २१९ - २५ ३६-३ २१९-२४ ८८-२० ९४-२७ १६४-१२ ९७-१९ ६०-२९ ४१-७ २७६-१ १७६-२२ १५९-१ १५९-३ ७३ - २ १९७-२० ६१-२८ १३४ - १ १४१ - २३ ६७-२२ ७८-२३ ८५-१३ ९५-२४ ३०-१२ २०४-३ ५३ - २२ ५९-२ २७-११ २७५ - २३ २३९-२० www.jainelibrary.org

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