Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 297
________________ *122 कुवलयमाला सियकुसुमलोयणोदर २६७-२२ । सुयसारियसउणत्ते ४०-६ । सुंदरि साह फुडं चिय २५०-३३ सिरदुहजरवाहि ४१-२८ | सुयसुत्तगुणणधारण ९५.२९ सुंदरि साहेसु फुडं २५० - १४ सिरफुरिए किर रज १५७ - १९ । सुरगंधव्वसिद्धविज्जाहर ९४-८ सुंदरि सुमिणे दीससि ४६-२४ सिरिसोहागुणसंघाय १४९-२६ सुरपतिमुकुटकोटि ११६-१८ सुहयविलासिणि २६४.३५ सिसिरणरिंदम्मि गए ६०-३० सुरयं ण सुंदरं चिय १८७-१७ सुईसमाणणासो १३०-१९ सिसिरेण को ण खविओ १७०-४ सुरयामयरसभरियं १५८-१७ | णमेत्तं सुतं २७८-१४ सिसुमारगहियमुक्का २०९-२६ सुरयावसाणचुंबण १४७-३२ सुरणरिंदत्थवणे ८२-२० सिंगाडयगोउरचच्चरेसु २०३ - १० सुरयासत्तमणेणं २६२-२० सुरतमाण विरोहो १७९-२ सिंघेण पुणो खइओ २७४-३२ सुरलोयपवणचालिय ९४-२२ सूराहिमुहो सउणो १८४-१० सीउण्हखलणदुक्खे २७४ -२८ सुरसरिपुलिणेसु तए २६५-२ सूरं जाणइ पुरिसं २५१-६ सीउण्हखुप्पिवासाइएहिँ ४०-१६ सुरसेणाक्इतालिय ९६-११ सूरोअग्गणमइलेण १६१-१९ सीउण्हखुप्पिवासाय ४२-५ सुरसेलतुंगदेहो ९३-२८ सूरो गंभीरचेटो अइपडु २०-२० सीउण्हमीसजोणिसु १४३-१२ सुरसेलम्मि पयासं ४३-७ सूरो जो बुद्धिजुत्तो २०.११ सीयालू दंसणीओ २०-१४ सुव्वइ गामे गामे ५१-३३ सूलारोवणडंभण २५४-२७ सीलं सलाहणिज ७४-३ सुसमाकालम्मि खओ २४२-९ से जाणमजाणं वा २७२-१ सीलेण विणा किं ७४-४ सुसेयछत्तसंकुलं २४-२१ सेज्जासंथारं या २२०.५ सीसच्छेयणभयण ४१-३१ सुरसमदुसमाकाले २४२-१४ सेयाण परं सेयं २७९-१३ सीसेण तस्स एसा २८२-१६ सुस्सूसंति य गुरुणो ८७-२२ सेलत्थंभसरिच्छेण ४४.३१ सीहसमपट्ठिभाया १३०-६ सुहओ विसुद्धणासो १३०.१७ सेल्लेहिँ हओ बहुसो २७४ -३१ सीहेण हम्मइ गओ १८८-३३ सुहदुक्खजरमगंदर १६२ -३२ से साहइ सच्चमिणं १४३ -२६ सुइदियचारूसोहा २८२-५ सुहसंपयसयभरिय २०८-१५ सो अप्पा परमप्पा २०२-२३ सुकइकहाहयहिययाण सुहसंबोधीसुमिण २८१-४ सो आसवो त्ति भण्णइ १४२-२८ सुकुलम्मि एस जाओ ८१-१० सुहियाणं सो सुहिओ २३०-५ सोइंदियम्मि लुद्धो २५५-८ सुकुले वि के वि जाया ८८.६ । सुहुमं व बायरं वा १४४-१ सोऊण इमं ते च्चिय १९२-१४ सुक्कोदयतणुखंजण २३६ -१२ । सुहुमो सरीरमेत्तो २०२-२७ सोऊण इमे वयणे २४५-२९ सुज्झउ णाम मलं चिय ४८-२८ सुंदर तेणेय विणा २५०-३१ सोऊण रुण्णसई ४८.५ सुण्णम्मि मज्झ २५२-१९ सुंदरमसुंदरं वा ण होइ १०७-२९ सो केण तुम्ह दिट्टो २०७-१६ सुण्णो भमामि एसो १७६-११ - सुंदरमसुंदरे वा गुण १०८-२४ सो को वि णत्थि पुरिसो १७० -२८ सुत्तत्थाणं दोण्ह वि २७०-२ सुंदरयरसुरसयसंकुले ४३-१२ सो चेय मए रमिओ १७६-२० सुत्तविउद्ध व्व जहा १३० -२९ सुंदरि अहं मणुस्सो ११६-२९ सो चुक्को वग्घाओ २०-१९ सुत्तस्स होइ अत्थो २७८-२५ सुंदरि एस पभाया १९८-१५ सो चेय होइ बहिरो २३०-२१ सुद्धा समा य सिहरी १३०-११ । सुंदरि कयावराहो ८५-१६ सो च्चिय एक्को पुरिसो २१६-१० सुपुरिसपयाववियले ७३-१८ सुंदरि कहं वियाणसि २५०-१० सो चिय जीवइ पुरिसो ७८-८ सुपुरिससहावविमुह १५८-२९ सुंदरि किं किं केण व ५३-१८ सो च्चिय जीवो पुरिसो २३० -२२ सुप्रभातं गुरूणां तु १९८-१९ | सुंदरि गंतूण घरं २२९-१९ सो च्चिय वच्चइ गरयं २३० -२० सुप्रभातं जिनेन्द्राणां १९८-१८ सुंदरि घोरा चोरा ८६-३० सो चिय सत्तू सो चेय १४२ -६ सुप्रभातं तु सर्वेषां १९८-२० सुंदरि घोरा राई ८६-२६ सो चिय सुहओ सो चेय १०७-३० सुयणु इमं ते हिययं १७३-६ सुंदरि णयाणिमो चिय ५३-२४ सो चिय हंसो णह २५७-२६ सुयणो णयाणइ चिय ५७.९ । सुंदरि पयट्ट वच्चसु २६५-२८ | सो जरमरणमहाभय ९०-८ सुयदेवयाएँ जा वि य २७३ -२ | सुंदरि भावेसु इमं २२७-२० सो जिणवंदणहेउं २८२-९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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