Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 281
________________ 106* कुवलयमाला झ जो अलसो गेहे च्चिय २५४ -९ । जो चंदणेण बाहं ८०-५ | जो विसमम्मि वि कजे ६६-२१ जो इच्छइ भवविरहं ४.२ जो छिंदिऊण णेहं २६१-२४ | जोव्वणसिद्धा बाला २७८-१ जो ईसरेण केण वि २०६-२७ जो जत्थ होइ जंतू २०६ -५ जो सज्जणो वियड्ढो २८१ -२५ जो उण कुडंगदीवो ८९-३० जो जसु माणुसु वल्लहउँ ४७-६ जो सत्ते वियणत्ते २३१-१७ जो उण गुरुयणसेवी २३१ - १९ । जो जस्स कुणइ पावं ५८-२६ जो सव्वलक्खणधरो .१९६-११ जो उण चउत्थपुरिसो २४६ -५ जो जस्स हिययदइओ ५२-५ | जो सुरभिकुसुममयरंद ३२-२६ जो उण चाई विणओणओ २३१ -२९ जो जं जाणइ थाणं २५०-२ जो सूसमपढमणरिंद ५०-२ जो उण छटो पुरिसो २४६- ८ जो जं जाणइ धम्म २०३-१२ जो सो जूयकरग्गो २०९-१९ जो उण ण चलइ ण वलइ १४२-२६ । जो जंतदंडकसरज्जु २३१-१६ जो सो मूलं छिंदइ २४६ -३ जो सो सुव्वइ मोहो ७२-२९ जो उण पंचमपुरिसो २४६-७ जो जं मग्गइ अज्ज २०८-२९ जो हत्थि भणइ खरं २२०-१७ जो एत्थ को वि रक्खो २५९-३० जो जाणइ देसीओ २८१-२३ जो हरइ तस्स हिज्जा २३१-२४ जो एस तुन्झ दूरे ७२-२६ जो जीविएण णिच्च ३० -१६ जो हिंसओ जियाणं २१९-११ जो एस तुज्झ वामे ४५-१२ जो णयविक्कमबद्धं ६६-२२ जो होइ जमो धणओ १४०-७ जो एस तुज्झ वामे ५६-१८ जो ण वि विहुरे विभजणउ ५९ -५ जो होइ दयापरमो २३१-२६ जो एस मज्झ वामे ४९-३० जोण्हाचंदणपरि २३८-१७ जो होइ दुल्लहं वल्लहं १६४ -२६ जो एस मसाणवडो २४९-५ जोण्हाजलपडिहत्थए ९१ - १२ जो होइ धम्मपुरिसो २०६ -२३ जो एस महाजलही ८९-२९ जोहाजलेण पञ्चालियाइँ ४६-६ जो होइ सम्मदिट्ठी २३० -७ 1 काल सज्झाओ २६९-२७ जोण्हापवाहणीरोरु १६-८ जो होइ सम्मदिट्टी २३० -१ जो किर भुयंगडक्को २३६-३ जो तत्थ रसविसेसो २२८ -१४ जो किर पहरइ साहम्मियस्स १३७ - १८ जो ताण कुणइ थवणं २५७-१८ झाऊण किं पि हूं हूं १६५ -२४ जो किंचिपुण्णकलिओ १८५-२४ जो तुज्झ पट्ठिभाए ६४-२३ झाणेण होइ मोक्खो सच २०५-२५ जो किंणरेहिँ गीओ २३९-११ जो दीणो परिभूओ २७१ -२५ झाणेण होइ मोक्खो सो २०५-२३ जो कुणइ जोयजुत्तिं १९७-३० जो दूसमसलिलपवाह २८२ - १५ झोसेइ णqसत्तं २८०-२ जो कुणइ तवं इहई २५४ -७ जो देइ धणं दुहसय १०३ - २२ झोसेइ महासत्तो २७९-२६ जो कुणइ तिण्णि पावे २४६ -१५ जो पढइ भावजुत्तो २८१-२१ ठावेइ इंदियाई ९३-२ जो कुणइ पंचकज्जे २४६ -१३ जो पढइ सुणइ चिंतह २३१-१५ जो कुणइ मुत्तछद्दी १३० -१ जो पसबइ इह बालो १८८-५ डझंतबहलपरिमल १३-८ जो कुणइ साहसबलं २०४-३१ जो पहरइ जीवाणं २२३ -२८ डहणंकणबंधण ३९-३१ जो कोइ कओ कोवो २७१-१६ जो पुण एसो लोगो २५६- २७ डंडाहयकुवियभुयंग १४७-१८ जो कोइ कओ माणो २७१-१७ जो पुण्णपोरुसेहिं २५९-२१ डोंबिलयल उसबोक्कस ४०-२५ जो कोइ कओ लोहो २७१ - १९ जी मयगलगंडत्थल ११० -१७ जो कोइ मए विहिओ २७१-२० जो मह धणे ममत्तो २७१-७ ण कयाइ तेण रमिया १७६ - १८ जो कोसियरत्तच्छा १३१-१६ जो मह पहरइ समुहं २२३ - २७ ण कइत्तणाहिमाणो २८३ -७ जो खलतरुयरसिहरम्मि ५७ -१० जो मारओ जियाणं २३०-३२ णक्खत्तसूररहिया घोरा ३६-८ जो खाइ जाइ मुंजइ १६२ - २२ जो मे दुक्खावियओ २७१-२१ ण गणेइ परं ण गणेइ ५१-८ जो गेण्हिऊण धाउं १९७-३१ जोयणबहुलक्खिल्ले २०९-२० णच्चइ णायरलोओ १८-३१ जो धडइ दुजणो ६८-९ । जोयणसहस्सतुंग ९३ -२२ णञ्चंततरंगसुभंगुरयं १७४ -१४ जो चलइ वलइ वग्गइ १४२ -२५ | जो रायदोसरहिओ २०७-१४ णचंतविलासिणीसोहणय १८-१९ जो चलणपणामेहिं भत्तीएँ ३०-२० जो वयणवणदवग्गी २७० -२३ णचंति ते वि तुट्ठा १८८-१० जो चवलो सढभावो २३१-५ , जो वाहेइ णिसंसो २३१-३० । णज्जइ धम्माधर्म ४-२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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