Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 294
________________ पजसूई *119 लोहो ब्य सरूवेणं ६४-२६ । वरपउमसखसोत्थिय ११६-९ | विजाहरीओ अम्हे २३४-२३ लोहो विचउवियप्पो वरपोमरायगत्तं ९५-२१ विजाहरीओ तुब्भे २३७-८ वरपोमरायणिम्मल ९२-२४ | विजाहरो ब्व रेहइ २५१-२७ वइरपरंपरभावो २८०-२३ वरपोमरायमरगय ४३ -५ विजुक्खित्ताइद्धो ८७-१४ वइरिगइंदपिहुलकुंभत्थल ८४-२२ वरपोमरायवयणा १२७ -५ | विजुघणथणियअग्गी १४३ - १४ वक्खाणंति कयत्था वरमणिवरालवारण ९७-३ । विज्झइ राहा वि फुडं २७९-१९ वक्खित्तकोवमाणहिँ २२१-४ वररयणणिम्मियं २७५ -१४ विणयरइअंजलिउडो ४९-८ वग्घेण एस वसहो १८९-१ वरवइरघडियपाय ९२-२८ | विण्णप्पसि देव फुडं २०४-२३ वच्चसु सिद्धी रिद्धी १८३ -२९ वरवेजयंतिमाला १९४ -१० | विण्णप्पसि देव फुडं २०८-२ वचसु सुंदरि वच्चसु १७२-१६ वरवेजयंतिसोहं विण्णाणणाणपोरुस १४५ -१ वच्चह दुवे वि वच्चह २३६-१७ वरहारमउडराई १९४-११ - विण्णाणरूवपोरुस १०६-१९ वञ्चतीय य कीय वि ८३ -२८ वलइ वलंतेण समं १६३ -२४ विण्णाणसत्तसारो २८०-२७ वञ्चतेण य णरवर २०८-५ वसहमऊरो सिंहो १३० -३ वित्तीए संतुट्टा १९१ -१० बच्चामो कस्स घरं २३९-३२ वसहिकहामहिलिंदिय २२१-२४ वित्थयणियंबगुरु १८-६ वच्छ चलिओ मि मरिउं २६४-१७ वसहे गउरवलाभो २६९-३ वित्थयणियंबपुलिणे ४३ -४ वच्छच्छाओच्छइए १०६-२३ वसिउं चिरं कुलहरे १-४ । वित्थयणियंबमंथण ९४-२६ वच्छत्थलं विरायइ १८२-१६ वसिय विसमावत्ते ४१-२६ वित्थरियसयलतिहुयण ३४-१७ वच्छम्हाण तुम चिय २६४-२१ वसुदेवधम्मिलाण २८१ -११ वित्थिण्णभुवणकोट्टय ६०-२६ वच्छंतरेसु सउणे ८२-३० वहसि मुह च्चिय चावं २३९-९ वित्थिण्णसिलाघाउच्छलंत ५४ -१७ वज्जसिलिंकापडिय वंके जडे य जड्डे १५३ -३ विद्दमपवालसरिसं १६३ -२७ वजिंदणीलमरगय २०८-१२ वंचेमि त्ति सयण्हं ५८-१९ विद्धम्मि एइ रत्तं १०४-२७ वजिंदणीलमरगय- २७५ -११ वंदामि बीयबुद्धिं २८३ -३९ | विबुहजणणिदिएसुं ४२-२६ वट्टे पायंगुटे १२९-१८ वंदामि सव्वसिद्धे २८३-३४ विब्भमकडच्छहसिरो २२१-१० वणछिंदया वि पुरिसा २४५-१६ वंदामि सव्वसिद्धे २८४-१ वियरंतकामिणीयण ११७-५ वणमहिसवयभजंत वंदे चउदसपुवी वियलंतकुसुमबाहोह ६०-१९ २८३ -३६ । १८१-२ वणराइपरिगएणं वंदे चोदसपुब्बी १६१ -२० वियलंतदेहसोहो २८३-१३ १०३ -१ वणसरहसंभमभमंत वियलियकडिसुत्तयचलण २५-६ वंदे सव्वोहिजिणे ६०-२१ २८३ -१० वणसावयस्स लीवं वंसकुडंगो अइवंक वियसंतकुंवलउप्पल ११८-३० २४१-१५ वणसीह मुक्कदीहर वाणिजं मालाइत्तणं च ६०-२० ११४-२० २२-७ वियसंतकुवलयच्छं वियसंतणयणवत्तं वणिएण वि पडिवणं वामदिसाए वामा ११५.२१ १९१-१६ १३१-२ वियसंतपंकयमुहो १७-२२ वणिज्जइ महिलाहिं वामावत्तो जइ दाहिणम्मि १३१-४ ८३-२४ वण्णेति पोढमहिला ८३-२३ वारुणिसंगपमत्तो ७३ -१७ | वियसियकणयकमलसिरि ९५ -१५ वत्थे पाणे भत्तेसण २७०-१९ वालुयरेहासरिसो ४४-२७ १-१२ | वियसियतामरसमुही वत्थेसु जो ममत्तो वियसियसयवत्तणिभं वाससयं पि जियंता २५४-१६ ८८-८ २७१-८ वम्महपडिबिंबसमो वाहिभवपावकलिमल ४२-३३ १६४ - १९ वियसियसयवत्तसमे वयणमियंकोहामिय विउलम्मि भालबट्टे १४-२६ १०४-१२ १३० -३३ विरइयरयणाहरणा वरइंदणीलणिम्मल १६५-२० विज्जाविण्णाणगुणाहियाइ ३२-१२ ९४-२१ विरहग्गिहित्थपत्थिय ९३ -२३ वरइंदणीलमरगय विज्जा विण्णाणं वा १६५-२८ विरहभुयंगमडक्का २३१ -२० विज्जाहरबालाओ वरकणयपउमराढा २३४-३१ | विरहभुयंगेण हओ १६९-२० २५२-३० । विसगरतत विसगरतंतं वालय १५१-१० वरकणयमउडराहो १०९-६ । विजाहर व्व एए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368