Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 292
________________ मयमाणलोहमोहा मयरखरणहरदाविय मयरंदबिंदुणीसंद मयलंछणकरगोरे मयलोहमोहमाया मयवइवग्घसरिच्छा मयवंकत्तणरहिए मयहत्थिदेहपविसण मरगयकलसजुयं मरगयमणिणिम्मविया मरगयमणिमोत्तिय मरणंतम्मि पवज्जइ मरणं पाणच्चाओ मरणाई अणंताई मरिऊण जाइ णरयं मरिऊण य परलोए मलखउरियंगमंगा मलपंकपूइपउरो मलरुहिरमुत्तवाहो मल्लियजूहिय मह दसणपरितुट्ठो मह पत्तियासु एयं . मह पुण तेलोक्के कल्ल मह मंगलमरहंता महिलाण एस धम्मो महिलायणे वि सुव्वइ महुघायअग्गिदाहो महुपिंगलेसु अत्थो महयररिंछोलिमिलंत महुरमिउमम्मणु मंगलभणिएण इमं मंदरगिरिवरगरुयं मंदारपारियायय मंदारसुरहिकेसर मंस खाइसि जइया मंसोवइया पिहुला मा अच्छसु वीसत्थं मा अच्छसु संसारे मा अलियं भण सव्वं माए हं ते जणिओ पजसूई *117 १६१-४ मा कडुयं भणह जणे ४४-२ | मायामोहियहियएण ६३ -३१ ३९-२१ मा कस्स वि कुण जिंदं ४३ -३२ मायारक्खसिगहिओ ५६-१६ ९६-३१ मा कुणसु पागकिरियं २०२-१८ मायावंचियबुद्धी १५८-३१ १६५ -२१ मा कुणह जाइगव्व ४३-२८ माया वि कीस कीरइ ८१-१६ ९८-२८ मा कुणह पियं एयं १७२-३४ माया विचउवियप्पा ४४-३३ १३०-२० मा कुप्पसु ससिवयणे ८५-११ मारणलंपणदुक्ख २२०-१२ २९-९ मा कुमर वंचसु इमं १७३ - १३ | मारिजइ दुट्ठमणो २२३-२९ २२८ -२८ मा चिंतेसु वियप २५८-५ मा रूसह पुरिसाणं ६७-२८ १५८-१९ मा जाणण जाणइ सज्जणो ६१-३१ मारेइ खाइ लुंपइ १२५-६ १८२.२४ मा जाण णवब्भाई १४८-३ मारेइ जो ण जीवे २३१-९ १०६-४ मा जूरसु पुत्ति चिरं १६४-२४ मारेइ णिद्दयमणो २३१-८ २२२-१६ माणमहागहगहिओ ४९-२८ मारेऊणं पियर ७९-८ २७३ -२८ माणम्मि होसु पणओ २०२-१६ | मारेह खाह पियह २३१-१८ २७६ १६ माणं णिरुभिऊणं ९८-३० मारेह पसुं दारेह ३७ -१५ २२२ - १ माणं पि मा करेज्जसु ८१-८ मारेह लेह छिंदह ३६-२३ २२१-१४ माणंमाणी सुखंती गुरु १९-२५ मा विलव किंचि सुंदरि २६५ -१६ १६९-२३ माणुसजोणीसु मए ८२-५ । मासलपिहुलं रुइरं १६३ -३० ८९-२ माणुस्सखेत्तजाई ८८-१५ | मा सुयणु किंचि रोवसु १०७-२४ १८७ -१६ माणो विचउवियप्पो ४४ - २९ | मा सुयणु कुप्पसु तुमं १७३ - १० १६६ - १८ माणो संतावयरो ४९-२३ | मा हससु परं दुहियं ४३-२९ ९९-७ मा तेसु कुण णियाण २७५ -१५ मा हीरह रायरसा १६० - २९ ६-१० मा दोसे चिय गेण्हह ३-१६ मा हो जूरह पुरिसा २००-२० १३९ -२६ मा पत्तियाह पुत्तय २६६-९ मा हो जूरह पुरिसा २१२ - ११ २७२-१० मा पुत्त भणसु एयं २६३-२० मा हो मजह पुरिसा २१२-१२ २४०-१० मा भाउय भण एवं २६४-३ मा होह गव्वियमणा २२३ -३० ८१-२७ मा भुंजसु अइणिद्धं ८०-१२ मा होह णिरणुकंपा ४३ -३१ २३१-३१ मा भुजेज पणीयं २२१ - २९ मा होह रे विसण्णो २१२ -६ १३० - २१ मा मह उण्हं होहिइ २७५ - १९ मा होंतु विसेण व ते १८१-२१ ३१-१० मा मह छुहा भवीहिइ २७५ -२० मिच्छअविरइकसाया १४३ -१ २५६-३ मा मह सीयं होहिइ २७५-१८ मिच्छत्तकम्ममूढो २२९-११ १६१-२१ मा मा काहिसि सुपुरिस १३७ - १० मिच्छामि दुक्कडं ति १३७-१४ १७-१७ मा मा कुणसु अकज ७९ - १२ मिच्छावियप्पकुविओ ४५-१० ४३-१ मा मा जंपसु अलियं ३८-११ मिच्छोवदेसकरणं २२२-२२ , ९३-२९ मा मा मारसु जीए ४३ -२६ | मिटण्णू चक्खुलोलो १९-१९ ३७-२ मा मा मुंचसु एत्थं १७२ - ६ मित्तं ति णाम लोए २६६-३२ . मा मिहुण रममाणं ८०-११ मित्तं पि खमउ मज्झं २७१-२७ २४४ - २२ मा मे तण्हा होहिइ २७५ - २१ मित्तेहिँ जाव ण सुयं ६०-९ २५४ -४ मा य णिसीयसु समयं ८०-१० मित्तो होइ अमित्तो २७१-२९ ८०-८ माया उव्वेययरी ५६-१२ मिलियजणोहसुकलयल १७१-२० २६३ -३१ | मायामयरिउसूयण ६३ -३२ । मुक्को वि पुणो बज्झइ १७९-६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368