Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 286
________________ तु फंसवरसवस तु सोहग्गगुणिघण तुंगकुलसेलसिहरे जो तुंहालयतोरण तुंगतणेण मेरुव्व तुंगण मेरु गणव तुंगमलं जिण तुंग महागयसेलं तुंगं गयणविलग्गं तुंगं धवलं मणहारि तुंगं समुब्भडयरं तीय तुंगाइँ गयउलसामलाइँ तूररवगहिरस तूरसु पयट्ट वचसु देवदू तेण णरणाह एवं ते पउंजण आहिय सुरवरभो तेण वि ते पडिभणिया तेणं चि य बेंति जिणा तेत्तीस सागराई तेत्तीसाए आसायण हिं पुरिसपोंडरीया ते लोक तुंगचिंतादु तेल्लोक्क मंथणीए तेल्लोक्कवंदणिज्जे विसुरा असुरिंदा तेवीसं सूयगडे हिं पुणो मह दिणो तेहिं विखजंता तेहिं वि सो पडिभणियो तो एयं णाऊण तोरणा तुमच तो तम्मि हीरमाणा तो तस्स दाहिणं तो तस्स परियणं तो पावर पित्ते तो संभिण्णं पासइ Jain Education International १३८-१९ १५४-११ ७३ - ३० ४६ - २५ | थणजहणमणहराओ ३१ - ३३ | थेरं मुंचसि पियरं २१७ - १३ | थेरीइ व दिणलच्छीय ९४-२५ २८२ - २१ २४ - १९ २७५-९ २७२ - ३२ ४२-१२ ४३ - ३ २३८-५ ८७-२६ २०८-९ पजसूई ८७-१२ २८२-२२ १७-१८ ११२-४ १७१-२२ १३५ - १७ २७५ - १३ २११ - १५ | दहूण काइदयं २२२ - २३ छावि पुरिसा १२०-१० तमालवणं १९२ - २० १०२-९ २७२-२७ २०८-४ ३८-७ १९२-२१ १६२ - ३३ २०८ - १७ पि खुडइ हियए थोवंतरेण जं चिय थोवंतरेण तस्स य थोवं बहुं च कत्थई थोवबहु सावज्जं थ द दइएण परिचत्ता दइए ण सुंदरं ते दइओ ति इमीऍ इयं पिव चिरदि दइयाणुरायपसरिय दक्खिण्णदाणपोरिस रिद्धपू ढणि रंगो दण य णलिणीओ 9 दय साहूणं महालंगे वल्लीसंदाणिय दरदलिय कुवलउप्पल दरलुव्वमाणकलमा दरियारदा रणस दरियारिमंडलग्गा दरियारिवारणघडा दरिसणमेत्तेणं चिय दस मे ए ३७-२६ ९७-१५ ९६- ३२ दसवास सहरसाईं दसविहपायच्छित्ते दहिकलससंख २२८ - १२ | दहिदुद्धगोरसो वा दंडवायाई णवरि दीसंति १४४-१४ २२१-२७ २६४ - २५ ७५ - २७ १०३ - २९ २७-१७ ९७-१ २७१-३ १४४-५ १०८ - ३३ ८७-४ २२७-१२ २२३-२३ २५-२२ १५३ - १ ८३-२९ २४५ - २१ ११३-१५ २७५ -३ ८२ -१८ ४० -१५ २७०-९ ४५ - १४ १५३ - १० ६३-५ ४३-९ ४६-७ १४१ - २१ ५३ - ३३ ८-२९ ३५ - १४ २३-३० ४३-१९ २७३ - २० १८३ - २६ २०६ -११ ८ - २३ For Private & Personal Use Only दंतकथं तंबकयं लेप्पय दत्तविणाऍ कत्थइ दंसणणाणचरित् समेत् चिय दंसणरणं अ विमलया दंसणविद्धि णाणस्स दंसण सुयं सव्वं दसिय कलाकलावा दर्सेति णियंबयड दाऊण ण दिण्णं चिय दाऊण ण दिण्णं चिय दाऊण सिरे पहरं दाणजलसित्तगतो दादयादक्खिण्णा दाया दिट्ठी लोलो दारिद्दवा हिदुइसय दारिद्देण वि गहिया दारुयथंभसरिच्छेण दाहिणदिसाए सव्व दाहिणपलंगवसण दिज्ज बंभणसमणे दिज्जउ देसु पडिच्छसु दिट्ठ अदिव्वं दिद्रुत हे उजुत्त दिट्ठ सुयमणुभूयं दिट्ठा य मए रिसिणो दिट्ठो यणाणंदो दिट्ठो रणम्मि मुणी दिण्णज हिच्छियफलओ दित्ते तक्खणं चि दिप्पंत अहियसो हो दियहचरा होंति दिया दियहस्स पहरमेत्ते दिहिं पुणो पेच्छ दिलिदिलियाण पुणो दिव्वं माणुस तिरियं दिव्वाणं संलावो दिव्यावहार सिद्धा च्छो रहिओ *111 २२-४ २७४-७ २७६ - २१ २४३-२६ ८७-२३ २७८ - १७ २०१ - ३३ १८३ - २७ २८२ - ३ २६-२५ १०५ -४ २७१-२४ ३६-३३ १५४ - १६ १७६-३२ २०-१७ ९०-१ ४० १७ ४४-३२ १३१ - ३ १२९-३१ २०४-१५ १७१ - २६ १६८ - २४ २७३ - १३ २३२-१४ २०८-१० १७६-२४ २०८-३ २८२ - १७ १८४ -९ २५३ - ९ १८४ - १३ २८१-२७ १९२ -३ २५-२७ १४४-४ २८१ - ३ २७८-२ १३० - २४ www.jainelibrary.org

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