Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
View full book text
________________
*114
कुवलयमाला पवणुव्वेल्लिरपल्लव ९७ -६ । पारद्धिएण पहओ २७५ -२ | पीणं पक्कलतुंग २५४-१५ पवणो व्व तुरियगमणो २६ -३५ | पालित्तयसालाहणछप्पण्णय ३ - १८ पीणुत्तुंगपओहर ९३-२४ पव्वयराइसरिच्छो ४४-२५ पालेऊण वयाई
७२ -११ पीणुत्तुंगपओहरपिहुल २०८ -१४ पव्वयराईसरिसो पढमो ४४ -२४ पालेसु जियं जं ते ९३ -१५ पीणोटो सुभगो सो १३० -१० पसरइ कुसुमामोओ १४१ -९ पावइ परिग्गहाओ १८६ -४ पीयं थणयच्छीरं जाणं . ३० - १९ पसरियगईए गलिया २५-५ पावटाणणियत्ती २०७-५ पुच्छाणंतरपुलइय २६९-४ पसियसु मा कुप्प महं १६७ -३१ पावयणी धम्मकहो २७० -१४ पुच्छामि ताव गंतुं २५६ -६ पसियह पसियह सामिय ३६-३२ पावसुयपसंगाणं २७२-३० पुच्छिज्जउ को वि णरो २०१ - ८ पसुपक्खिमणूसाणं २३१-२५
पावं काऊण पुणो २५४ -३ पुढविजलजलणमारुय १४३ -१० पसुपंडयमहिला ८०-९ पावं डज्झइ मंतेहिँ २०५ -२१ पुण पहओ मुट्ठीए १५४ -२३ पसुमहिसदासपेसा ३९ -३ पावाण वि पावो हैं १३७-१२ पुण्णतरलच्छदसण पहरणविभिण्णजियदेह ११२ - १३ पावा पयंडचंडा ४०-२७ पुण्णरहियाण अम्हं २५९-१४ पहिययणदीणपुलयण ३१ - ८
पावारंभणियत्त
३७-१३
पुण्णं पावं च दुवे २७५-१७ पंकाउ जहा पउमं १७९-११ पावारिसल्लगत्तण २७३-८
पुण्णाण होइ पुण्णं १७९-१६ पंचक्खरउग्गिरणं २८० -७
पावेइ उरविसालो १३१ -१८
| पुण्णेण होइ सग्गो २५७-१६ पंचण्ह इंदियाणं २२२ - ४
पासत्थोसण्णकुसील
२२१-६
पुण्णेहिं होइ अत्थो २५९-८ पंचत्थिकायमइयं
पासाणकटुभूती २२९-८
१८४ -१२
पुण्णहिँ होइ लच्छी २५९-१० पंचमहव्वयजुत्तं
पासेहिँ चामराओ २१५ -३१
९७ -११
पुत्त इमो ते धम्मो २६३ -२४ पंचमहव्वयजुत्ते ९५ -३० पिउमाइगुरुयणम्मि २०५ -२७
पुत्त ण कीरइ एसो २६२-२ पंचमहव्वयजुत्तो
पिज्जड पाणं गिज्जइ य २२२-५
५१-३४ पुत्त ण वट्टइ एवं २६३-१६ पंचमहव्वयजुत्तो
पिंडीमत्तो कत्थइ २७२-२०
२७३ -३०
पुत्त तहा वि ण जुजइ २६३ -१२ पंचमहव्वयफलभार ३४ -१०
पित्तस्सुदओ गिम्हे २४२.४ पुत्त तुमं गब्भगओ ७६-७ पंच समिईओ सम्म २७० - १६
पियइ खणं रुहिरोहं ७० -५ पुत्त तुमं मह णाहो ७६-८ पंचसु समिईसु जए २७९ -३ पियपुत्तभाइभइणी ३६ -५
पुत्त धणसाररहिओ २५९-३ पंचाणुव्वयजुत्तो
पियमहिलासंगामे
१५३ -११
पुत्त मए तुम्हाणं २६६-५ पंचायाररयाणं
४२-१० पियमित्तवंचणाजाय ६३ -१२
पुत्तपिइदारबंधू ९०-६ पंचेंदियाण पुच्छसि १४३ - १३
पिययम एयं भुंजसु २२५ -३० पुत्तेसु जो ममत्तो २७१-९ पंचेंदियाण वहया २६१ - ११ पिययमविदिण्णवासय २५ -२३
पुत्तो वि तीयजोग्गो ९०-११ पाइयभासारइया
४-११ पिययमविलीयदसण ४१ - २२ पुत्तो वि य होइ पई ३०-२३ पाडियचंडयरकरो ८२ -१६
पियविरहे अप्पियदंसणे ५९-७ पुरओवट्ठियकजं ण ७२-२७ पाणाइवायविरमण २२० -८
पियसहि अत्थि विसेसो २३६ - ८ पुरओ वि एस जीवो १८५-३० पाणिवहालियवयणं १६२ -२८ पियसहि उट्टेसु लहुँ २३८ -२६ पुरओ वि एस वरओ १८५-३१ पाणिवहालियवयणं २०७-३ पियसहि कामगइंदो २३९-१० पुरिसकरधरियकोमल
१-३ पाणिवहालियवयणं २१९ -९ पियसहि ण किंचि णिसुयं ८५ - १४ पुरिसाइलक्खणेहिं २८१-१५ पामाकच्छुपरिगओ २२१-२० पिहुदीहणयणवंत २९ - १७ पुरिसाण एस सारो १८२-१९ पायच्छित्तं विणओ १४४ -१० पिहुपीणललियसोहं १६३ -२८ पुरिसा पिपीलिया इव २७-८ पायवडियस्स सुइरं ७२-१६ पिहुलणियंबसमंथर १४ - २८ पुरिसो भणइ चउत्थो २४५-२७ पायवमरणं एवं २७६ -१८ पिहुलंगुट्टे पहिओ १२९ -२० पुलइज्जइ हसइ खणं १६५-२३ पायालयलाओं
पिहुलं तुंगं तह उण्णयं १३० -५ | पुवकयकम्मरइयं १२९-१२ पायालोयरम्मि जइ ७८ - १४ । पिहुवच्छत्थललंबिर ९३ -९ । पुवकयपावसंचय १९३ -२६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368