Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 280
________________ जावाम्म तुम जाआ२७६-१३ ४१-९ पजसूई *105 जा पुण पुण्णेहिं विणा २५९ - १२ । जीएसु कुणसु मेत्तिं २०२-१२ जे जत्थ केइ खेत्ते २७८- १९ जायइ आसणकंपो २१२-४ जीयइ कम्मेण जिओ. २६४ -२३ । जे जत्थ केइ सिद्धा २७८-३ जायम्मि अड्डरते २३८-४ जीवत्तणम्मि मणुओ सारो १०९ - १९ । जे जम्मजरामरणोह ६४-६ जायस्स केण कजं १४८ - १८ जीवम्मि तुम जाओ जे जह जीवाईया १४३ -२९ जायस्स धुवो मच्चू ८२-१५ जीवाजीवजहट्टिएँ २०७-२५ जे जह भणिए अत्थे २७३ -१४ जायंति कम्मभूमीसु ४०-२३ जीवाजीवविहाणं ३४-११ जे डहणंकणताडण ६४-७ जायंतेण मए चिय जीवाजीवा आसव १४२ -२४ जेण कओ गुरुगुरुणा जायावहारणीए २७४ -३ जीवाजीवा आसव २१७-३१ जेण कया धवल च्चिय ८१-२८ जारज्जायहो दुजणहो ६-११ जीवाण करेइ वहं १८५ -२७ जेण ण मणो ण रागो २५८-२ जारिसओ सो मित्तो ६३-२ जीवाणं अइवायं १४३ -३२ जेण तए अत्ताणं ५३ - १९ जारिसयं तं कम्म २४५-११ जीवाणं पण्णवणं ३४-१८ जेण य मणोरहेहिं १८६-३१ जारिसय विमलंको ३-२७ जीवादीए पयत्थे २१८-२४ जेण य सिरीऍ दिण्णो २१-६ जाव असिचक्कतोमर ३८-१ जीवियह एवं कति ३६-४ जेण य सुएण कहिया २०८-६ जाव इमं चिंतिज्जइ २१४-३० जीवेण यतं जाओ २७६-१४ जेण सिही चित्तलिए २०६-१९ जाव ण दुहाई पत्ता । ११०.२० । जीवे मारेसि तुम ३७-१ जेणं चिय कोमलकरयलेहिं ३०-१७ जाव तुह तेण पइणा २२६-३२ जीवो अणाइणिहणो २०३-२५ जेणं चिय णिसुओ सो २५६-१ जाव मए च्चिय एयं ४७-३१ । जीवो अणाइणिहणो २१९-२८ | जे णिज्जामयपुरिसा ९०-२ जाव य अभग्गमाणं जीवो अणादिणिहणो २१९ - १७ जे तत्थ तिण्णि पुरिसा ८९-३१ जाव य कुवलयचंदो २९-१० जीवो उण मणुयत्ते ४२ - २७ जे तत्थ महिड्डीया ४२-२९ जाव य ण देति हियय १३-२० जीवो खणभंगिल्लो २०३-२३ जेत्तियमेत्तं कम्म १४०-२४ जाव य ण देति हियय १५-२१ । जुगमत्तदिण्णदिट्री २२०२ जेत्तियमेत्तो उरि १०४-२९ जाव य धावंति तहिं ३७-३० जुज्जइ महिलाण इमं २४०-१२ जेत्तियमेत्तो कीरइ ६६-१४ जाव य रमिउव्वाओ १५४-२५ जुजइ विणओ धम्मो २०५-२९ जे दीहथूरजंघा १२९-२७ जा समिला सो जीवो २१०-२ जुत्तिवियारणजोग्गं ४९-४ जे दूसहगुरुदारिद्द विद्यया ६४-३ जा सुपुरिसगुणवित्थार जुष्पंति णंगलाई १०१-२० जे धणिणो हति णरा ४६ -१ जा हरिसपणयसुरवइ ५६-२९ जयईजणमणसंखोह ११२-७ जे परतत्तिणियत्ता ४०-१८ जिणजम्मणभूमीओ २८३ -४२ | जुयसमिलादिलुतो २८०-२९ । जे पिययमगुरुविरह ६४-२ जिणधम्मो मह माया २७२ - १२ | जुवईयणणिम्मलमुह जे पुण करेंति एवं १४३-२८ जिणवयणबाहिरमणो १३९-२५ । जुवईयणमज्झगओ। ___ २५३ -१३ जे पेच्छसि धरणिहरे २७६-७ जिणवयणबाहिरं सो ३२ - १३ | जुर्वईयणमणमोहं १७३ -२९ । जे भारहरामायणदलिय ३-२४ जिणवयणं दिप्पतं २७८-११ | जुवईयणमणहरणो ४१-१५ जे वि णिसण्णा सिद्धा २७७-३१ जिणवयणाओ ऊणं २८३-३ | जे उण करेंति कम्म ४०.२० जे वि सलिंगे सिद्धा २७७-२९ जिणवयणे वटुंतो २३०-८ जे उण जाणंति तुहं १२०-९ जे वेल्लहलविलासिणि १४१-१९ जिणवरवयणं अमयं व १३३-२७ जे उण सणियाणकडा ४२-६ जे संपइ परिसत्था २७७-१७ जिणवंदणफलमेयं २८०-२२ जे एरिसा णरिंदा १९७-२४ । जे हंसआसवारण जे हंसआसवारण १२९-२८ जिण्णो जराए पुत्तय १५७-१० जे कम्मखयट्टाए २७८-२७ जेहि कए रमणिजे ४-१ जिय दइय सुहय १४१-१८ जे केइ तित्थसिद्धा २७७-२८ जेहिं कयं सरिसेहिं २१२-१५ जियरागदोसमोहा २५७ -२० । जे कोंचहंससारस १३० - १६ जेहिं समं अणुदियह १८६-३३ जियलोयलोयलोयण ११५-१३ जे गुरुदेवयमहिमा १९७-२७ जे होति णाडइल्ला ४२-१५ जीएँ मह देवयाए २८१-२६ / जे चिय जाणंति इमं ३८-२६ । जे होंति णिरणुकंपा ३५-३० कु. मा. १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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