Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 271
________________ *96 याइँ जो णयाणइ एयाइं दुक्खमूलं एयाई पावयाई मंगला सुहं लो याउ यि तुझं याओ पुण पेच्छ याओ भावणाओ याओ भावणाओ याओ भावणाओ एयाओ सव्वाओ वि एत्थ एयाण कहा बंधे तं णत्थि एयाण नियंबयड एयाण पूयणं अणं च या वया यावत् पुण या पुणमज्झे एयाणं सव्वाणं याणि य अण्णाणि य या परिवातो या पंचपणा या पुण विलयाओ एयासुंच गई एरिसनिमित्त पिसुणिय एरिसम्म वसंतऍ एरिसं चेय अलिया एरिसिया सुररिद्धिया एला लवंगपायव एवं आसवभावं एवं इमाइँ एत्थं एवं एए मूढा एवं कम्म जं चिय १४४-६ १९०.७ १८५-२५ २२०-७ याहि पंचसमिि रावणो गयाणं १७८-२९ एरिसए संसारऍ जलहिसमे २-८ एवं कुधम्मम एवं गए वि जइ ता एवं गंधो रिसो एवं गोदम हई एवं चउरासीई जोणी २८१-२४ १६२-२९ २१९-१० १८४-२० १६२-३५ १७२-२२ Jain Education International १९०-६ २२०२९ २२१-३० २२१-८ ४-६ 8-8 २५४-१४ २५७ २ २२२-७ १९०-८ ४-१४ १८४ -१६ ४१-२७ १४४-७ ४२-३१ ५२-१५ १२ - २१ ९४ - ११ ७० - १६ २२९ - २ १७७-२ २००-३५ २०१२ - १७ २१०-१४ १३७-३ १८३ - २८ २५७-२७ २२७-३० कुवलयमाला एवं च एक्का एवं च कीरमाणा एवं च चिंतयंतस्स एवं च जाव ताओ एवं च णिस मेउं एवं च तस्स णासो एवं च ते कमेणं एवं च संवरेणं एवं चि कुणमाण एवं चिंतस्स य एवं चितस्य एवं चिंतेंतीए एवं चिंतेतीए एवं चितीए एवं जं जं क एवं जोयण मे एवं तं पोयवर एवं थोहो संकम एवं दुहसयजलयर एवं पलावेहिं दुहं जर्णेतो एवं बहू वियप्पा एवं भणमाण चि एवं भणिऊण इमे एवं मह अवराहं एवं विलुप्पमाणो एवं सम्मत्तामयभरिओ एवं साहेमाणो णरवइणो एवं सोच्चि कुमरो एवं होउ खमेज्जसु एस अणादी जीवो एस करेमि पणाम एस करेमि पणामं एस करेमि य मं एस कुमारो रेहइ एस गहिओ ति कलमो एस देवकुमारो एस पुरिसाण पुरिसो एस भगवं जिनिंदो एस महं किर भाया एस विवज्जाम अहं २४७ - ३२ ३६-३१ २२७-२३ २३८ - १९ २४५ - २४ १९३ - २७ १९१ - १३ १४४ -८ ४९ - १९ २२९-९ २२७-३२ २२८-३ २२८-८ २२९-७ २४६ - ११ ९७-२० १९१ - १७ २५७ - ३० २७९ - १७ ४३ - १८ १९८ - २ ३६-२४ १९१ - २३ १३७ - ११ ३६ - २५ २१८-३० ३३ - २९ १८८ - १३ २६७ - १५ २२७-२४ २७७-१० २७२- ७. २७० - ३२ १८२ - २१ १७२ - ३९ १९० - २ २४० - ११ १२० - २७ एसा चंपत्ति पुरी एसा मए पइण्णा गहिया एसा मए वि लिहिया एसा महइमहला For Private & Personal Use Only एसा वि एत्थ धरणी एसा वि एत्थ महिला एसा वि एत्थ लिहिया एसा वि का वि महिला सा वि पेच्छ सामा एसा विरुयइ दइया एसा वि वह सरिया एसेस एस ह एसो अकंदतो सो अणादिजीवो एसो उण सुरणाहो एसो कुलमयमत्तो एसो कुवलयचंदो एसो को विजुवाणो एसो को विजुवाणो एसो जो तुह पासेण सो रवर धम्मो एसो णाणायारो एसो णारयलोगो एसो तवमयमत्तो एसो तुझ वियप्पो सो तुह दितो एसो तुह दितो एसो घाउव्वाओ एसो पपिहरंतो एसो परिणिज्जंतो एसो पंडिवाई एसो पुण आरूढो गायो सो सो पुणो वि तरुणो एसो भए सुतो सोय तुम्ह ओ एसो वच्च चंदो एसोविएत्थ लिहिओ २२७ - १४ सो व कोइ पुरिसो ८५ - २८ एसो वि को वि जीविय १९० - २५ १०८ - ३१ १८९-७ २४८-३० १८६-९ १८८-६ १८८-७ १८८ - ४ १८९-१० १८६ - २० १८९ - २६ ५१ - २१ १८६ - २५ २२९-१० १९० - ३ १८७ - २९ २४४ - २६ १८७-९ १८७-७ ९९-६ २०२ - २८ २७०-४ १८५ - २१ १८७ - ३२ २५७ - ७ २५७-३१ २१०-१ १९८-५ १८६-५ १८८-८ १८७-३१ १९०-४ १८७-२१ १८८-१४ १८७-२५ २६५ - ३४ २३८-१८ १८८- २५ १८७-३३ १८६-२५ www.jainelibrary.org

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