Book Title: Kuvalayamala Part 2
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 272
________________ पजसूई *97 एसो वि को वि देवो १९०-५ । एहु एहउं दुम्मणस्सहुँ ६३ -१८ | कत्थइ कुमारभावं ४१ - १३ एसो वि को वि देवो १९०-१० । एहेहि मज्झ सामिय २२५ -१८ कत्थइ कुंभीपाए २७४ - १९ एसो वि को वि देवो १९० -१२ ओ कत्थइ खासेण मओ २७४-५ एसो वि को वि पुरुसो १८५ -३२ ओ ए पुरंदरो च्चिय २६-७ ।। कत्थइ गाहारइया ४-८ एसो वि को वि पुरुसो १८८-२४ ओ मे भवग्गवग्गू २८४-५ कत्थइ गीयस्स रखो ८३ -३ एसो वि को वि भोगी १८८-१९ ओलग्गह सव्वण्णू १९३.१२ कत्थइ चोरविलुत्तो २७४ - १४ एसो वि को वि लिहिओ १८८-१८ ओवायओ वि एसो १८९ - ११ कत्थइ जणणीऍ अहं २७४ - २ एसो वि को वि लिहिओ १८८-२० ओसप्पिणि तह २७७-१२ कत्थइ जलणपविट्ठो २७४ - १२ एसो वि चंडसोमो ४६ - १५ ओसरयइ डहणो विअ ११३ -३० कत्थइ जलयरगिलिओ २७४ - २० एसो वि जणो लिहिओ १८७-२० ओसरह देह पंथं २४ -२२ कत्थइ जायंतो चिय ४१ - १२ एसो वि जो मुसिज्जइ १८६-३ ओसहजोएहिं समं १४२-१४ कत्थइ णंगलजुत्तो ३९ - ३० एसो वि तक्खणं चिय १८९-१५ ओसोवणितालुग्घड २२-९ कत्थइ तण्हाए मओ २७४ - १३ एसो वि तत्थ राया १९०-२७ ओहिण्णणी पणओ २८३-४० कत्थइ दरणीहरिओ २७४ -१ एसो वि धणुम्मत्तो १८७-२८ कत्थइ दंडयरइया एसो वि धाइ पुरिसो १८७-२४ कत्थइ धावंतो चिय ४०-२ कइया उवसंतमणो २१३ - १५ एसो वि पहरइ चिय १८८-१ कइया कयकायव्यो कत्थइ पंचावयव २१३ - १६ ३४ - २० एसो वि पुहइणाहो १८८-२२ कत्थइ पूयणगहिओ २१३ - २० कइया कयसुत्तत्थो २७४ -४ एसो विपेच्छ पायो १८९-१२ कइया खणवीसंतो २१३ - १९ कत्थइ भएण गलिओ २७३ - २८ एसो वि पेच्छ सीहो १८९-१६ कइया खणं विबुद्धो २१३ -१४ कत्थइ महिलत्तणए ४१ - २० एसो वि भमइ भिक्खं १८८-१७ कइया णु असंभंतो २१३ - १७ कत्थइ य जायमेत्तो ३९-३३ एसो विमए लिहिओ १८६-११ कइया णु कमेण पुणो २१३ - २१ कत्थइ य जायमेत्तो एसो वि मर लिहिओ १८७ -२६ कइया वि हसिज्जंतो २१३ - १८ कत्थइ य वंतरीओ ९७ - १८ एसो वि मए लिहिओ १८७ -३० कज्जत्थी जो सेवा १३१ - २ कत्थई रुहिरपवाहेण २७४-८ एसो वि मए लिहिओ १८८-११ कज्जलतमालसाम १०६-८ कत्थई रूवयरइया एसो वि य कोलियओ १८९-८ कजं जं रहसकयं ५१ - १४ कत्थइ लूयाए हओ २७४ -९ एसो वि रुयइ पुरिसो १८७ -२३ कजंतरदिण्णमणं ६६ -२० कत्थइ वज्जासणिणा ३९ - १५ एसो वि रूवमंतो १८७-२७ कज्जाकज्जहियाहिय २११ - ३१ कत्थइ वणसरहिक्का १४७-१५ एसो वि सहइ पुरिसो १८७-२२ कज्जाकज बहुसो ४० - ८ कत्थइ वारीबद्धो ३९ - २७ एसो वेयवगिरी २३८ -२१ कदिधणतणणिवहेहिँ ८२ - ३ कत्थइ विष्फोडेहिं २७४ - १० एसो संखेवणं कहिओ १३१ - २३ कडियमुहलसिलीमुह ५१ - २९ कत्थइ विमाणदेवा ९७-१७ एसो सो चेय पुणो १८८-१५ कणयघडिओ व्व एसो १७० - ३० कत्थइ विसमावडिओ ३९-२९ एसो सो चेय मओ १८६-१८ कणयमयघडियखलिणं २३ - १२ कत्थइ सिहीहिं खइओ ३९ - २३ एसो सो चिय घेत्तुं १८६ -२४ कणयं पि होइ सुलहं ९० - १८ कत्थइ सीएण मओ २७४ - १८ एसो सो चिय लिहिओ १८६ - १४ कण्णाणं अमयरसं ३४ -१ कत्थइ सूलारूढो २७४ - ११ एसो सो च्छेय थेरो १८८-१६ कण्णेसु जस्स दोसु वि २४ - ५ कत्थ तुम एत्थ वणे १२२ - २९ एसो सो तेहिं समं १९१ -१५ कत्थइ असिघेणूए २७४ - १७ | कत्थ वि चक्केण हओ २७४ - १६ एसो सो धि अपुण्णो १८८ - १२ कत्थइ अहि त्ति दटुं ३९ - २२ कत्थ वि सत्तूहिं हओ २७४ - २१ एसो सो माणभडो २४४-२५ कत्थइ इहविओए २७४ - १५ कत्थेत्थ सो जुवाणो १६७ - ६ एसो हि मोक्खधम्मो । २०७-३४ कत्थइ उल्लाहिं ४ - १० कप्पतरुकुसुममंजरी ९३ - १० एहिइ पिओ त्ति अण्णा ८३ - १८ । कत्थइ कुटेण अहं २७४ -६ । कप्पाईया दुविहा १४३ - २० कु. मा. १३ . . लवमता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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