Book Title: Kuran ki Zaki
Author(s): Swami Satyabhakta
Publisher: Swami Satyabhakta

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (८) भताजियां भानजियां, रजाई माएं [धायमा जिन्हों ने तुम्हें दूध पिलाण और तुम्हारी दूधशरीको बहिने , तुम्हारी मासे तुमपर हराम हैं और जिन बीवियों के साथ तुम सोहबत कर चुके हो उनकी लड़कियां, तुम्हारे बेटों की बीवियां तुमपर हराम हैं [तुम इनके साथ निकाह शादी-नहीं कर सकते । मगर जो हो चुका सो हो चुका । [इससे मालूम होता है कि शादी के बारे में यह अन्धाधुन्धी अरब में फैली हुई थी जिसे इसलाम ने दूर किया ] ८-मां बाप, रिश्तेदार, यतीम, गरीब, नज़दीकी पड़ोसी अजनबी पड़ोसी, पास बैठनेवाले मुसाफिर और जो तुम्हारे कब्जे में हों-नौकर चाकर-इन सब के साथ भलाई के साथ पेश आओ क्योंकि अल्लाह उन लोगों को पसन्द नहीं करता जो इतराते हैं, बड़ाई मारते हैं, खुद कंजसी करते हैं और दूसरों को कंजसी की तरफ़ ले जाते हैं और अल्लाह ने अपने फज्ल से जो कुछ उन्हें दे रक्खा है उसे छिपाये रखते हैं। (कंजूसी के साथ दिखावटी खर्च का भी बुरा कहा गया है, न कंजस बनो, न हैसियत से ज्यादा खर्च करो यही ठीक रास्ता है) ९-जब तुम नशे की हालत में रहो तब नमाज़ के पास भी न जाना जब तक कि जो कुछ कहते हो समझने लगो, और नहाने की हाजत हो तो भी नमाज के पास न जाना जब तक कि गुस्ल न करलो। (पहिले शराब नमाज के वक्त के लिये हराम थी पीछे हमेशा के लिये हराम हो गई । नहाने वगैरह की बात से यह साफ़ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32