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वाले न बनो और तराजू सांधी रखकर तोला करो और लोगों को उनकी चीजें कम न दिया करो और मुल्क में फ़साद फैलाते न फिरो।
__ . २७-सरे नम्ल १--तुम बेहयाई (के काम के) मुर्तकिब होते हो और [एक दूसरे को देखते भी जाते हो क्या तुम औरतों को छोड़कर शहवतगनी (के इरादे) से लड़कों पर गिरे पड़ते हो। बात यह है कि तुम बड़े जाहिल लोग हो।
[खुल्लमखल्ला सम्भोग करना और पुरुषों का पुरुषों के साथ व्यभिचार करना ये असभ्यता के काम उस समय अरब में चालू थे, लूत पैग़म्बर के इतिहास के ज़रिये इसलाम ने इन दोनों कामों की निन्दा की और इन्हें रोका]
१-अगर तुम सच्चे हो तो खुदा के यहां से कोई किताब ले आओ जो इन दोनों (कुरान तोरात) से हिदायत में बेहतर हो। मैं उसकी पैरवी करने को मौजूद हूं।
हजरत मुहम्मद साहब किसी किताब से बधे हुये न थे, उन्हें तो नेकी का पाठ पढ़ाने से मतलब था, भले ही वह. कोई भी हो। इस के मुताविक सच्चा मुसलमान सदाचार का पाठ कुरान तोरात :गीता वेद इंजील सूत्र पिटक आवस्ता-वगैरह किसी भी किताब में से पड़ेगा। इसलामः आदमी को बिना तास्मुंव का बेलाय और आजादख़याल बनना चाहता है ......
२९ सूरे अन्कत .. १ क्या लोगों ने यह समझ रक्खा है कि इतना कहने पर
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