Book Title: Kuran ki Zaki
Author(s): Swami Satyabhakta
Publisher: Swami Satyabhakta

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ ( २०) ३-अपनी विधवाओं के निकाह (विवाह) करदो । और अपने गुलामों दासियों में से उनके, जो नेकबख्त हों।. ४-जो लोग निकाह करने का मकदर नहीं रखते उनको चाहिये कि ज़ब्त करें (ब्रह्मचर्य से रहें)। ५-जो तुम्हारी दासियाँ पाकदामन रहना चाहती हैं उनको दुनिया की जिन्दगीके आरजी फायदे की गरज से हरामकारी पर मजबुर न करो। २५ सूरेफुर्कान रहमान के बन्दे तो वह है जो जमीन पर दीनता के साथ चलें और जब जाहिल उनसे जहालत की बातें करने लगे तो (उनको) सलाम करें । जो खर्च करने लगे तो फजूलखर्ची न करें और न बहुत तंगी करें वल्कि उनका खर्च इफ़रात और तफरीत के दरमियान बीच की रासका हो। जो नाहक किसी शख्स को जान से न मारें कि उसको खुदा ने हराम कर रक्खा हो. ...जो जिना के मुर्तकिब न हो, (व्यभिचार न करते हों)....न झूठी गवाही दें, जो बेहूदा बकवाद न करें, खेलतमाशों के पास से गुज़रे तो चुपचाप भले आदमी की तरह गुज़र जायें । (इस प्रकार के नेकचलन, अमनपसन्द आदमी ही सच्चे मुसलमान है । इसलाम की ख्वाहिश तो यह है कि जहां मुसलमान रहें वहां नेकी और अमन का राज्य होना चाहिये ... . २६-सुरे ध्रुअराज. १-(कोई चीज़ लोगों को पैमाने से नाप कर दिया कसेतो) पैमाना नाप कर दिया करो और लोगों को नुकसान पहुँचाने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32