Book Title: Kuran ki Zaki
Author(s): Swami Satyabhakta
Publisher: Swami Satyabhakta

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Page 22
________________ (१८) धर्मशास्त्र यानी मजहब और दर्शनशास्त्र यानी फलसाफ़ जुदाजुदा शास्त्र हैं । लोग मजहब और फलसफे को मिलाकर बड़ी गड़बड़ी करते हैं और अपने फ़र्ज को भुलाकर फजूल की बहसों में पड़जाते हैं । इस आयतसे इसलामने ऐसी बहसों की जड़ काटदी ! मजहब का काम नीति और सदाचार का पाठ पढ़ाना है फलसफे की गुत्थियाँ सुलझाना नहीं) १५-कहो कि तुम अरु ग्रह पुकारो या रहमान पुकारो, जिस नाम से भी पुकारो सब नाम अच्छे हैं । नाम पर झगड़ना जहालत है, खुदा अल्लाह रहमान, रहीम, ईश्वर, भगवान, हक, सत्य, गॉड रब, शिव, शङ्कर, महादेव, राम, बहुरमज्द वगैरह सब नाम उसीके हैं। दीन इसलाम में जिसको कि खुदा कहते हैं, वो ही हिन्दसे न भगवान कहा जाता क्या ? जुदाई देखना इनमें है बड़ी नासमझी, खुदाभी नाम बदलने से बदल जाता क्या ? १६.-न तो अपनी नमाज़ चिल्लाकर पढ़ो और न उसको चुपके पड़ो, वाचका तरीका इख्तियार करलो।। २० सूरे ताहा १-(सब) अच्छे नाम उसी (अल्लाह) के हैं। २१-सूरे अम्बिया : १ १-लोगों ने आपस में (इस्तिलाफ करके दीव के टुकड़े Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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