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(१३) [इस्लाम ने मर्द मर्द में व्यभिचार के पाप को भी दूर किया और पैग़म्बर लूत के हवाले से लोगोंको यह बात समझाई ।।
४. नाप और तोल पूरी किया करो और लोगों को उनकी चीज़ कम न दिया करो।
५--तुम हमको हरगिज़ देख न सकोगे। हिजरत मुसा अपनी आंखो से अल्लाह को देखना चाहते थे पर नहीं देख सके । सचमुच कोई आदमी अपनी इन आंखों से खुदा को नहीं देख सकता सिर्फ अक्ल की आंखों से ही देख सकता है ।
८--सूरे अन्फाल १-जाने रहो कि तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद बस बखेड़े हैं।
२--जो कैदी तुम्हारे कब्जे में हैं इनको समझादो कि अगर अल्लाह देखेगा कि तुम्हारे दिलों में नेकी है तो जो माल तुमसे छीना गया है उससे बेहतर तुमको अता फर्माएगा और तुम्हारे कसूर भी माफ करेगा।
बदमाश बदमाशी न कर सकें इसका ख़याल रखते हुए विरोधियों के साथ--भले ही वे हार कर कैदी ही क्यों न हो गये हों- इसलाम अच्छे से अच्छा सलूक करने का उपदेश देता है ।।
९-सूरे तौबा १-मसजिद वह है जिसकी नींव शुरू से ही परहेज़गारी पर रक्खी गई है।
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