Book Title: Kuran ki Zaki
Author(s): Swami Satyabhakta
Publisher: Swami Satyabhakta

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Page 16
________________ (१२) ४--फजूल खर्ची न करो क्योंकि फजूलखर्ची करनेवाली को खुदा पसन्द नहीं करता । इसलाम में कंजूमी का भी मुखालफत है और फजूलखर्ची की भी, इसलाम बीच का सच्चा रास्ता बताता है। ५--मां बाप के साथ अच्छा सुलूक करते रहो और मुफलिसी के डर से अपने बच्चों को कल न करो। हम तुमको खाना देते हैं उनको भी। - [अरब के लोग गरीबी के डरसे और लड़की का बाप कहलाने की बेइज्जती के डरसे भी अपने बच्चों को जिन्दे ही जमीन में गाड़ देते थे यह करता और जहालत भी इसलाम ने दूर की।] ६--यतीम के माल के पास भी न जाओ। --इन्साफ़ के साथ पूरी पूरी नाप करो । ८--जब तम बालो तो सच बात ही बोलो और फैसला करो तो इन्साफ सेही करो। ७-- मरे अअराफ १-खाओ और पियो फजूलाखर्चयां न किया करो क्योंकि खुदा फजुलखर्च करनेवालों का पन्सद नहीं करता । २-खुदा की रहमत नेक काम करने वालों से करीब है । ३--क्या तुम ऐसी बेहर्याई के मुतकित्र होते हो कि जहान में तुम से पहिले किसी ने ऐसी बेहयाई नहीं की कि तुम औरतों को छोड़कर शहवतरानी के लिए मर्दो पर मायल होते हो | मगर तुम लोग हद से गुजर गये हो। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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