Book Title: Kuran ki Zaki
Author(s): Swami Satyabhakta
Publisher: Swami Satyabhakta

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Page 14
________________ (20) २ -- मुसलमानो, जब नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुँह धोलिया करो और कोहनियों तक अपने सरों का मसह कर लिया करो और टखनों तक अपने पांव भी धोलिया करो, और अगर तुम को नहाने की हाजत हो तो गुस्ल करके अच्छी तरह पाक साफ़ हो जाओ और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुम में से कोई पाखाने से आया हो या तुम स्त्रियों के पास गये हो और फिर तुम्हें पानी न मिले तो तयम्मुम कर लिया करो ( साफ़ मिट्टी लेकर अपने हाथों और मुंह का मसह करलो ) अल्लाह तुम्हें तंग नहीं करना चाहता मगर तुम्हें साफ़ सुथरा रखना चाहता है । ३ - इन्साफ की गवाही देने के लिये हमेशा तैयार रहा करो और किसी अदावत के सबब इन्साफ़ को न छोड़ो | सब के साथ इन्साफ़ करो यही पर्हेज़गारी से करीब है 1 ४ - हमने ( वक्तन फ़वक्तन ) तुममें से हर के लिये एक शरीअत ठहराई और तरीका (ख़ास) और अगर अल्लाह चाहता तो तुम सब को एक ही ( दीनदी ) उम्मत करता लेकिन ( जुदी बुदी शरीअतों के भेजने से ) यह मक़सद रहा कि जो हुक्म [तुम्हारी हालत के मुताबिक वक्तन फवक्तन ] तुमको दिये उनमें तुम्हें आज़माये । तुम नेक कामों में एक दूसरे से बढ़ने की कोशिश करो। ( इससे मालूम होता है कि इसलाम किसी एक शरीअत का गुलाम नहीं है न किसी एक रस्म या रिवाज का गुलाम है, वह लोगों के मुआफिक शरीयत का हिमायती है । उसके अनुसार अल्लाह हर एक आदमी की अक्ल की जाँच करता है। अपने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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