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( १४ )
[सहूलियत के लिये मसजिदें बनाने में बुराई नहीं है लेकिन लड़ाई झगड़ा या दलबन्दी के लिये जो मसजिद बनाई जाय वह नापाक मसजिद है । हज़रत मुहम्मद साहिब के समय में भी कुछ लोगों ने एसी एक मसजिद बनवाई थी । लेकिन रसूलल्लाह ने वह मसजिद नापाक कहकर गिरवा दी । ] १०- - सूरे यूनुस
१ - जिन लोगों ने भलाई की उनके लिये मलाई है और कुछ बढ़कर भी ं"। और जिन लोगों ने बुरे काम किये तो बुराई का बदला वैसी ही बुराई है ।
२ – हर क़ौम के लिए रसूल मिला है !
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१० - सूरे रअद
१ - तुम तो सिर्फ़ ख़बरदार कर देनेवाले हो और [तुम कुछ अनोखे पैग़म्बर नहीं ] हर एक क़ौम का ( एक न) एक हिदायत करने वाला [ हो गुज़रा ] है
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[ लोग हज़रत मुहम्मद साहिब से तरह तरहकी निशानियाँ मांगा करते थे पर ये सब बातें इसलाम के और सच्चाई के ख़िलाफ़ हैं। किसी भी पैगम्बर को मोजिज़ा या चमत्कार दिखाने का या गुप्त बातें कहने का अधिकार नहीं है । रसूलों का काम पाप का बुरा नतीजा दिखाकर लोगों को धर्म का पाठ पढ़ाना है । ] १४ – सूरे इब्राहीम
१ - जब हमने कोई पैग़म्बर भेजा तो उसको उसी की कौम की ज़बान में बातचीत करता हुआ भेजा है ताकि वह उनको अच्छी तरह समझा सके।
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