________________
(१५) [पुरानी जबान में कोई भी धर्म-प्रचार नहीं करता। इस लिहाज़ से हिन्दुस्तान में संस्कृत प्राकृत अरबी फारसी आदि जबानों में धर्म-प्रचार न करना चाहिये । ]
१६-सूरे नहल १ हम हर एक उम्मत में कोई न कोई पैगम्बर भेजते हैं।
२-हमने कुरान तुम पर सिर्फ इसीलिये उतारा है ताकि तुम इन लोगों को धर्म की वे बातें बतादो जिनके बारे में ये लोग झगड़ रहे हैं :
(मतभेद मिटाना सब को मिलाना अमन, कायम करना कुरान का और इसलाम का खास मकसद है]
३-हम एक आयत को बदलकर उसकी जगह दूसरी , आयत नाजिल करते हैं और अल्लाह जो नाज़िल फर्माता है उसको वही खब जानता है।
[हर एक मज़हब मौके के मुताबिक नियम बनाया करता है, बदला करता है। मजहब रूढ़ि के गुलामों को नहीं, समझदारों को मिलता है । इसलाम में इस समझदारी को कितनी जगह है यह बात ऊपर की आयत से साफ मालूम होती है ] ... ४-सख्ती भी करो तो वैसी ही करो जैसी तुम्हारे साथ की गई हो और अगर सब करो तो करने वालों के हक में सब बेहतर है।
[ किसी काम में सख्ती करने की इजाजत इसलाम नहीं देता। सख्ती के जवाब में सिफ़ उतनी ही सख्ती करने की इजाजत देता है जितनी उनके ऊपर की गई है और जो सख्ती के
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com