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२४ - पैग़म्बर उस किताब को मानते हैं जो उनके पवर्दिगार की तरफ़ से उनपर उतरी है, और पैगम्बर के साथ दूसरे मुसलमान भी अल्लाह, उसके फरिश्तों और उसकी किताबों और उसके पैगम्बरों में से किसी एक को भी जुदा नहीं समझते। ३ सुरे आलि इम्रान
१ - हम तो उन पैग़म्बरों में से किसी एक में ( भी फर्क नहीं करते |
२ -- जो लोगों को नेक कामों की तरफ बुलाएँ और अच्छे काम को कहें और बुरे कामों से मना करें ऐसे ही लोग अपनी मुराद को पहुँचेंगे |
३ - मुसलमानो, सूद न खाओ |
४ - जन्नत [ स्वर्ग | उन पर्हेज़गारों के लिये तय्यार है जो खुशहाली और तंगदस्ती में भी ख़र्च करते हैं और गुस्से को रोकते और लोगों के कसूरों को माफ़ करते हैं । लोगों के साथ नेकीं करनेवालों को अल्लाह दोस्त रखता है ।
५- तुम उनको, जो अल्लाह की राह में मारे गये हैं मुर्दा न समझो |
६ - दुनिया की ज़िन्दगी तो सिर्फ़ धोखे की पूँजी है । ४ - मूरे निसाअ
१ - यतीमों का माल उनके हवाले करो उनकी किसी अच्छी चीज़ को अपनी बुरी चीज़ से न बदलो, और उनका माल अपने माल में मिलाकर खुर्द बुर्द न करो ।
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