Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001 Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 4
________________ 70332 क्षमादान महारानी प्रभावती ने यह सुना तो उनका हृदय द्रवित हो गया। वे राजा से बोलीं ●●0000 महाराज! इतने पशुओं की हत्या ! यह घोर पाप है। माँ भवानी तो जगत की माँ हैं। वह इन निरीह पशुओं का वध कराकर कैसे प्रसन्न होंगी। आप ऐसा घोर पाप न कीजिए। Ad यह सुनकर रानी बोली तो ठीक है महाराज, आप ऐसा करें रात्रि के समय कुछ पशु माँ भवानी के मन्दिर के प्रांगण में छोड़ दें अगर माँ की इच्छा होगी तो वह इन पशुओं के प्राण अपने आप हर लेंगी। Jain Education International शु "महारानी ! यह परम्परा तो हमारे पुरखों से चली आ रही है इसे कैसे रोका जा सकता है ? और अगर अगले दिन यह पशु जिन्दा रहे तो आप माँ की इच्छा समझकर बलि चढ़ाना बन्द कर देंगे। 2716676777 अगर बलि न चढ़ाई गई तो माँ भवानी कुपित हो जायेंगी और देश में अकाल, महामारी आदि फैल जायेंगी। 2 For Private & Personal Use Only ठीक है महारानी हमें आपकी शर्त स्वीकार है। ARONEYA TRAVRATRE 600 sagEwww.janelibrary/s 400sarees, sagerses (evoj andPage Navigation
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