Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ क्षमादान सारथी बड़ी तेजी से रथ को उदायन की सेना के बीच में दौड़ाने लगा। रथ में से चण्डप्रद्योत विद्युत गति से तीर चलाकर शत्रु के सैनिकों को मारने लगा। अब मेरे तीरों से कोई नहीं बच पायेगा। यह देखकर रामा उदायन चण्डप्रद्योत के सामने आ गये और उसे ललकारा। हठीले कामी पुरुष, इन निरपराध | क्षत्रियों के खून की होली बन्द करो। आओ हम दोनों परस्पर युद्ध करेंगे। ललकार सुनकर चण्डप्रद्योत उदायन की तरफ आक्रमण करने लपका। Jain Education International 24 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36