Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 24
________________ क्षमादान दूसरे दिन सुबह फिर युद्ध प्रारम्भ हुआ। परन्तु उदायन के अचूक बाणों के सामने चण्डप्रद्योत अपने दुर्जेय अनलगिरि हाथी पर पहाड़-सा अनलगिरि हाथी मिट्टी की दीवार की चढ़कर रण भूमि में उतरा। भौति थरथरा कर भागने लगा। SaluIOHIG6IOCERY 6000 KJada चण्डप्रद्योत को हारता हुआ देखकर उसका दूत लोहगंध हवा में उड़ता हुआ राजा उदायन की तरफ लपका। 22 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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