Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 32
________________ इतना सोचकर राजा उदायन दण्डनायक से बोले AAVA क्षमादान Jain Education International महाराज चण्डप्रद्योत के बन्धन खोलकर इन्हें मुक्त कर दो। आज से यह हमारे बन्दी नहीं, बन्धु हैं। चकित दण्डनायक ने पिंजरे का ताला खोलकर चण्डप्रद्योत को मुक्त कर दिया। चण्डप्रद्योत को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, वह पिंजरे से निकल कर उदायन के सामने खड़ा हो गया। परन्तु उसे ऐसा लगा जैसे किसी ऊँचे पर्वत शिखर के सामने वह तो एक चींटी के समान तुच्छ है। उदायन की महानता के सामने चण्डप्रद्योत स्वयं को बहुत बौना समझने लगा। 30 For Private & Personal Use Only मुझे क्षमा कर देना बन्धु ! 1 Mohing www.jainelibrary.org

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