Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 25
________________ क्षमादान लोहजंघ को अपनी ओर आता देखकर उदायन ने तरकश से अभिमन्त्रित बाण निकालकर छोड़ा। बाण में से तीव्रगति से एक प्रकाश का रस्सा निकला और लोहजंघ के चारों ओर लिपट गया। लोहजंघ रस्से में उलझकर हवा में अधर लटक गया। MOS तभी चण्डप्रद्योत का सारथी अग्निभीरू रथ दौड़ाता हुआ चण्डप्रद्योत के पास पहुँच गया। महाराज ! आप इस रथ में आ जाइये। Jain Education International चण्डप्रद्योत तुरन्त हाथी से उतर कर रथ पर चढ़ गया। 23 For Private & Personal Use Only -www.jainelibrary.org

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