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क्षमादान
लोहजंघ को अपनी ओर आता देखकर उदायन ने तरकश से अभिमन्त्रित बाण निकालकर छोड़ा।
बाण में से तीव्रगति से एक प्रकाश का रस्सा निकला और लोहजंघ के चारों ओर लिपट गया। लोहजंघ रस्से में उलझकर हवा में अधर लटक गया।
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तभी चण्डप्रद्योत का सारथी अग्निभीरू रथ दौड़ाता हुआ चण्डप्रद्योत के पास पहुँच गया।
महाराज ! आप इस रथ में आ जाइये।
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चण्डप्रद्योत तुरन्त हाथी से उतर कर रथ पर चढ़ गया।
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