Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 28
________________ क्षमादान यह सुनकर महारान उदायन ने चण्डप्रद्योत को बन्दी बनाकर अपने साथ सिंध ले जाने का निश्चय किया। वह अपने सेनापति से बोले इस जघन्य अपराध का सतत् बोध कराने के लिये राजा प्रद्योत के ललाट पर 'मम दासी पति शब्द अंकित कर दिया जाये। इनके चारों तरफ सैनिकों का कड़ा पहरा रहे। सेनापति ने राजाज्ञा का पालन किया। चण्डप्रद्योत के ललाट पर दासी पति अंकित कर उसको लोहे के पिंजरे में बन्द कर दिया। चारों तरफसैनिकों का पहरा बिठा दिया गया। युद्ध काल में ही वर्षा ऋतु प्रारम्भ हो चुकी थी फिर भी महाराज उदायन उजयिनी में नहीं रुके और सेना सहित वहाँ से कूच कर गये। Jai* मेरी दासी का पाल 26 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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