Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ इतना सुनाकर उज्जयिनी के व्यापारी ने कहा हाँ! हमारे राज्य में एक स्वर्णगुलिका नामक दासी है जिसके सौन्दर्य के सामने स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरती हैं। क्या आपके राज्य में भी कोई ऐसी आश्चर्यजनक वस्तु है। महाराज! हम आपके लिये एक अद्भुत उपहार लाये हैं। Viz सिंध के व्यापारी महाराज चण्डप्रद्योत के राज दरबार में आते हैं। GOOG क्षमादान W व्यापारी उन्हें स्वर्णगुलिका का चित्र दिखाता है। वाह ! इसका रूप लावण्य तो स्वर्ग की अप्सराओं के समान है। हमारे महाराज को यह चित्र भेंट करो, वह प्रसन्न गये तो आपको मालामाल कर देंगे/ Jain Education International अच्छा देखें क्या लाये हैं आप ! व्यापारी चण्डप्रद्योत को चित्र दिखाता है। चित्र देखकर चण्डप्रद्योत की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। यह चित्र किसी मानवी का है अथवा स्वर्ग की अप्सरा का ? क्या ऐसी सुन्दर स्त्री इस धरती पर वाकई है, कौन है यह ? Peewwese 14 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36