Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 17
________________ क्षमादान महाराज! यह राजा उदायन के महलों में रहने वाली एक दासी है इसका नाम स्वर्णगुलिका है पूरे सिंधु देश में इससे सुन्दर दूसरी स्त्री नहीं है। चण्डप्रद्योत चित्र देखकर विचारों में डूब गये।। स्वर्णगुलिका ! क्या सचमुच यह इतनी सुन्दर है? यह तो हमारे महल की शोभा बनने योग्य है। इसे हम अपनी रानी बनायेंगे। 100NM OCIATA SAARTI चण्डप्रद्योत मन ही मन स्वर्ण गुलिका को प्राप्त करने का निश्चय कर लेता है। वह व्यापारियों से बोला आप लोग हमारे अतिथि बनकर जितने दिन चाहें यहाँ रहिये और दिल खोलकर व्यापार कीजिये। हम आप पर प्रसन्न हैं। HAMAAAY AP 15 Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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