Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001
Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 12
________________ क्षमादान कुब्जा ने जैसे ही उस गोली का सेवन किया एक दिव्य प्रकाश उसके शरीर से फूट पड़ा और वह एक अत्यन्त सुन्दर रूपवती स्त्री में बदल गई। कुब्जा ने जब आइने में अपनी सूरत देखी वह तुरन्त राजमहल में महारानी प्रभावती के पास जा पहुंची। तो वह हैरान हो गई। पश रानी ने उसे देखकर आश्चर्य से पूछा सुन्दरी तुम कौन हो? महारानी जी, मैं आपकी N श OOOOOO दासी कुब्जा ADMITTER ओह ! अद्भुत गुटिका से वास्तव में मेरा रूप लावण्य खिल उठा है। और कुब्जा ने पूरी घटना रानी को सुना दी। यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे राजमहल में फैल गई। अपनी कुब्जा स्वर्ण गुटिका का सेवन करके स्वर्ग की अप्सरा-सी सुन्दर हो गई है। कुछ ही दिनों में कुब्जा के स्वर्ण गुटिका खाकर सुन्दर बन जाने के चर्चे सारे सिंध में फैल गये। लोग धीरेधीरे उसे स्वर्ण गुलिका के नाम से जानने लगे। इस देश में कोई भी स्त्री स्वर्ण गुलिका के समान रूपवान नहीं है। in Education o Pra eson Use Only

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