Book Title: Kshamadan Diwakar Chitrakatha 001 Author(s): Kevalmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 8
________________ क्षमादान एक बार मगध देश का धर्मसार नामक एक व्यापारी जहाजों में माल भरकर गांधार काबुल आदि देशों में व्यापार करने गया। लौटते समय वह सिन्धु नदी के हरे-भरे सुरम्य तट पर पहुंचा। वहाँ उसे मगध कि दूसरे व्यापारी भी मिल गये। बंदरगाह पर उतरकर उन्होंने तटरक्षकों से पूछा। यह कौन-सी जगह है? यहाँ कौन से राजा राज्य करते हैं? Minoinजाक यह सिंध देश है। अत्यन्त पराक्रमी एवं वीर उदायन हमारे रामा हैं। आप लोग किस देश के निवासी हैं और यहाँ क्यों आये हैं? इसके लिये तो आपको हमारे राजा से आज्ञा लेनी होगी/कल ) सुबह आप राजदरबार / में उपस्थित हों। हम मगध के व्यापारी हैं और तुम्हारे देश में व्यापार करना चाहते हैं। 6 इतना कहकर तटरक्षक ने उन्हें आदरपूर्वक अतिथि भवन में ठहरा दिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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