Book Title: Kirti Kaumudi tatha Sukrut Sankirtan
Author(s): Someshwar Mahakavi, Arisinh Thakkur Kavi,
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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कीर्तिकौमुदी-सुकृतसंकीर्तनमहाकाव्ययोचिंशिष्टनमानुक्रमः ।
पृष्ठ
की.
__ की०
सु०
मिलदेव ( मन्त्री, वस्तुपालाग्रज) १४,१०६,१३५ बल्लभरान ( चौलुक्यनृप )
७,१०० मल्लिकार्जुन (नृप) ' की०
बसन्त ( वस्तुपाल) सु० ११४,१२८,१३६ मही (नदी)
की. वसन्तपाल (,)
सु० १०७ महेन्द्रसूरि (नागेन्द्रगच्छीय) 'सु. १०८ वस्तुपाल वीरधवल-महामन्त्री) ४.५, १४, १६, १७, महोबकपति ( महोबकनगर नृप । की०
२६, २७, ३४ ३७, माघ (कवि) की.
३८,३९,४१, ४२, ९९ मानस ( सरोवर) की.
१०३,१०४,१०६,१०७, मालव (जनपद) ७,८,१००,१०१
११०,११४,११७,१२१, मालवेश (मालचनृपति)
१३५
१२४,१२८,१२९,१३०, मिथिला (नगरी) की
१३१,३१३,१३५,१३६ मुञ्ज ( धाराधीश )
की०
वहक (वन) मुजालसुत ( मन्त्री) की.
वामनस्थली (स्थलविशेष) सु० १२९ मूलराज ( चौलुक्यनृप, प्रथम ) ७,११,९९ वायटगच्छ (श्वेताम्बरगच्छविशेष) सु. १११
. (चौलुक्यनृप, द्वितीय ) ९,१०३' वाल्मीकि ( आदिकवि ) यदु ( यदुवंशीय)
की०
विक्रमसिंह (भट) यमुना (नदी)
५ विजय (भट)
की. यशोवर्मा (धारानृपति )
१०२ विजयसेन (कवि, नागेन्द्रगच्छीयआचार्य सु० १०८ यशोवीर ( कवि, मन्त्री)
४ विदिशा (नगरी)
की. ५ यादवेन्दु (सिङ्घननृप)
विन्ध्याचल (पर्वत)
सु. १०२ यादवेन्द्र ( यदुवंशीयनृप ) की०
विमल (शत्रुञ्जयपर्वत)
सु० १२०,१३५ योगराज ( चापोत्कटनृप ।
विमलगिरि ( )
सु. ११७ रमादित्य (चापोत्कट)
वीर (वीरधवल)
की० १७,१९,२५ राष्ट्रकूट ( राजवंश)
बोरधवल (चौलुक्यवंशीयनृए, लवणप्रसादपुत्र) रेवतक (पर्वत) ३९,१२२,१२३,१२९,१३५
१०,११,१२.२३,१०५, लक्ष (कच्छनृपति)
७,१००
१०६,१०७,१३०,१३१, लश्मदेव (नृप) की.
१३३. १३४ लङ्का (नगरी)
बोरनृप ( वीरधवल)
की. २३ ललितादेवी ( वस्तुपालपत्नी) की० १४ वीरभूपाल (वीरधवल ) की. लवणप्रसाद (चौलुक्यवंशीय) १०,१८,२०,२५ वीरम (भट)
की.
२४ लवणप्रसादपुत्र ( वीरधवल) की.
वैद्यनाथशिवसझ (शिवमन्दिर ) सु.
१३३ लवणसिंह ( कवि अरिसिंहपिता) सु० १३३ वैद्यनाथसदन ( , ) लाट (जनपद)
की० १९ वैरिसिंह ( चापोत्कटनृप) । लाटेश्वर (लाटजनपद नृपति) की.
७ शङ्ख (सिन्धुराज, सङ्गामसिंह ) २०,२३,२४,२५,११०, लावण्यप्रसाद (लवणप्रसाद )
११४, १२१, १३६ लावण्यसिंह ( तेजःपालपुत्र ) की. १४ शत्रुञ्जय (पर्वत) ३८,११२,१९३,११७, , (लवणप्रसाद सु० १२४
१२०, १३४, १३५ वटकूप (सरोवर) ।
२३ शाकम्भरी (जनपद)
की. ८ वनराज ( चापोत्कटनृप) सु० ९८,१३३ शान्तिसरि ( नागेन्द्रगच्छीय ) सु० १०८ वनराजदेव ( ,, ) सु०
, (सण्डेरकगच्छीय) सु० . १११ बर्द्धमान (आचार्य, गल्लकगच्छीय ) सु० १११ शाम्ब ( रैवत-शिखरविशेष) सु. १३४
सु०
की.
की०
૨૮
सु०
की.
९६
.
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