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पंचम वर्गाक्षरों के संयोग से असंयुक्त प्रश्न हो, तो घर में विवाह आदि मांगलिक उत्सवों की वृद्धि, स्वजन-प्रेम, यशःप्राप्ति, महान् कार्यों में लाभ और वैभव की वृद्धि इत्यादि फलों की प्राप्ति शीघ्र होती है।
यदि पृच्छक रास्ते में हो, शयनागार में हो, पालकीपर सवार हो, मोटर, साइकिल, घोड़े, हाथी आदि किसी भी सवारी पर सवार हो तथा हाथ में कुछ भी चीज न लिये हो, तो असंयुक्त प्रश्न होता है। यदि पृच्छक पश्चिम दिशा की ओर मुँह कर प्रश्न करे तथा प्रश्न करते समय कुर्सी, टेबुल, बेंच अथवा अन्य लकड़ी की वस्तुओं को छूता हुआ हो या नोंचता हुआ प्रश्न करे, तो उस प्रश्न को भी असंयुक्त जानना चाहिए। असंयुक्त प्रश्न का फल प्रायः अनिष्टकर ही होता है। प्रस्तुत ग्रन्थों में असंयुक्त प्रश्न में चिन्ता, मृत्यु, पराजय, हानि एवं कार्यनाश आदि फल बताये गये हैं।
यदि प्रश्नवाक्य का आद्यक्षर गा, जा, डा, दा, बा, ला, सा, गै, जै, डै, दै, बै, लै, सै, घि, झि, ढि, भि, वि, हि, घो, झो, ढो, भो, वो, हो, में से कोई हो तो असंयुक्त प्रश्न होता है। इस प्रकार से असंयुक्त प्रश्न का फल अशुभ होता है। कार्य विनाश, मानसिक चिन्ताएँ, मृत्यु आदि फल ढो, झो, हो, लै आद्य प्रश्नाक्षरों के होने पर तीन महीने के भीतर होते हैं।
प्रश्नकर्ता के प्रश्नाक्षरों में कख, खग, गघ, घङ, चछ, छज, जझ, झञ, डठ, ठड, ढण, तथ, थद, दध, धन, पफ, फब, बभ, भम, मय, यर, रल, लव, वश, शष, षस एवं सह, इन वर्णों के क्रमशः विपर्यय होने पर-परस्पर में पूर्व और उत्तरवर्ती हो जाने पर अर्थात् फप, बफ, भब, मभ, रय, लर, वल, शव, षश, सष एवं हस होने पर अभिहत प्रश्न होता है। इस प्रकार के प्रश्नाक्षरों के होने पर कार्यसिद्धि नहीं होती है। प्रश्नवाक्य के विश्लेषण करने पर पंचमवर्ग के वर्गों की संख्या अधिक हो तो भी अभिहत प्रश्न होता है। प्रश्नवाक्य का आरम्भ उपर्युक्त अक्षरों के संयोग से निष्पन्न वर्गों से हो, तो अभिहत प्रश्न होता है। इस प्रकार के प्रश्न का फल भी अशुभ है।
____ आकार स्वर सहित और अन्य स्वरों से रहित अ, क, च, ट, त, प, य, श, ङ, अ, ण, न, म ये प्रश्नाक्षर या प्रश्नवाक्य के आद्यक्षर हों तो अनभिहत प्रश्न होता है। अनभिहत प्रश्नाक्षर स्ववर्गाक्षरों में हों तो व्याधि-पीड़ा और अन्य वर्गाक्षरों में हों, तो शोक, सन्ताप, दुःख, भय और पीड़ा फल होता है। जैसे मोतीलाल नामक व्यक्ति प्रश्न पूछने आया। प्रश्नवाक्य पूछने पर उसने 'चमेली' का नाम लिया। चमेली यह प्रश्नवाक्य कौन-सा है? यह जानने के लिए उस वाक्य का विश्लेषण किया, तो प्रश्नवाक्य का प्रारम्भिक अक्षर च है, इसमें अ स्वर और च व्यंजन का संयोग है, द्वितीय वर्ण 'मे' में ए स्वर और म् व्यंजन का संयोग है तथा तृतीय वर्ण 'ली' में ई स्वर और ल व्यंजन का संयोग है। च् + अ + म् + ए+ ल् + ई इस विश्लेषण में अ+च+म् ये तीन वर्ण अनभिहत, ई अभिधूमित, आलिंगित
और ल अभिहत संज्ञक हैं। 'परस्परं शोधयित्वा योऽधिकः स एव प्रश्नः' इस नियम के अनुसार यह प्रश्न अनभिहत हुआ, क्योंकि सबसे अधिक वर्ण अनभिहत प्रश्न के हैं। अथवा प्रथम वर्ण जिस प्रश्न का हो, उसी संज्ञक प्रश्नवाक्य को मानना चाहिए, जैसे ऊपर के
४२ : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि