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हुए बताया है कि यदि अ ए क प्रश्नाक्षर हों या प्रश्नवाक्य के आदि में इनमें से कोई हो तो फाल्गुन मास का जन्म, च ट प्रश्नाक्षर हों या प्रश्नवाक्य के आदि में इनमें से कोई अक्षर हो तो चैत्र मास का जन्म, त प प्रश्नाक्षर हों या प्रश्नवाक्य के आदि में इनमें से कोई अक्षर हो तो कार्तिक मास का जन्म, य श प्रश्नाक्षर हों या प्रश्नवाक्य के आदि में इनमें से कोई अक्षर हो तो मार्गशीर्ष का जन्म, आ ऐ ख छ ठ थ फ र ष प्रश्नाक्षर हों या प्रश्न वाक्य के आदि का अक्षर इनमें से कोई हो तो माघ मास का जन्म इ ओ ग ज ड द प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य के आदि में हो तो वैशाख मास का जन्म, द ब ल ये प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य के आदि में हो तो ज्येष्ठ मास का जन्म, ई औघ झढ ये प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य के आदि में हो तो आषाढ़ मास का जन्म, ध भ व ह प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य के आदि में हो तो श्रावण मास का जन्म, उ ऊ ङ ण ञ ये प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य का आदि अक्षर हो तो भाद्रपद मास का जन्म, न म अं अः ये प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य के आदि में हो तो आश्विन मास का जन्म एवं आईख छठ ये प्रश्नाक्षर हों या इनमें से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य का आद्यक्षर हो तो पौष मास का जन्म समझना चाहिए। इसी प्रकार आगे पक्ष और तिथि का भी विचार किया है । इस ग्रन्थ में प्रतिपादित विधि से नष्ट जन्मपत्र सरलतापूर्वक बनाया जा सकता है ।
इस ग्रन्थ में आगे मूकप्रश्न, मुष्टिकाप्रश्न, लूकाप्रश्न इत्यादि प्रश्नों के लिए उपयोगी वर्ग पंचाधिकार का वर्णन किया है। क्योंकि प्रश्नाक्षर जिस वर्ग के होते हैं, वस्तु का नाम उस वर्ग के अक्षरों पर नहीं होता। इसलिए सिंहावलोकन, गजावलोकन, नन्द्यावर्त, मण्डूकप्लवन और अश्वमोहित क्रम ये पाँच प्रकार के सिद्धान्त वर्गाक्षरों के परिवर्तन में कार्य करते हैं। इस पंचाधिकार के स्वरूप, गणित और नियमोपनियम आदि आवश्यक बातों को जानकर प्रश्नों के रहस्य को अवगत करना चाहिए। इस ग्रन्थ के लगभग अन्त में सभी वर्गों के पंचाधिकार दिए गए हैं तथा चक्रों के आधार पर उनका स्वरूप परिवर्तन भी दिखलाया गया है ।
प्रश्न निकालने की विधि
यद्यपि प्रश्न निकालने की विधि का पहले उल्लेख किया जा चुका है । परन्तु पाठक इस नवीन विषय को सरलतापूर्वक जान सकें; इसलिए संक्षेप में प्रश्नविधि पर प्रकाश डाला
जाएगा।
१. जब ं पृच्छक प्रश्न पूछने के लिए आए तो पूर्वोक्त पाँचों वर्गों को एक कागज पर लिखकर उससे अक्षरों का स्पर्श तीन बार कराएँ । पृच्छक द्वारा स्पर्श किये गये तीनों अक्षरों को लिख लें; फिर संयुक्त, असंयुक्त, अभिहत, अनभिहत, अभिघातित, अभिधूमित, आलिंगि और दग्ध इन संज्ञाओं द्वारा तथा अधरोत्तर, वर्गोत्तर और वर्ग संयुक्त अधर इन ग्रन्थोक्त संज्ञाओं द्वारा प्रश्नों का विचार कर उत्तर दें ।
२. वर्णमाला के अक्षरों में से पृच्छक से कोई भी तीन अक्षर पूछें । पश्चात् उसके
प्रस्तावना : ४६