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चोर, मकर हो तो वैश्य चोर, कुम्भ हो तो चूहा चोर और मीन लग्न राशि हो तो पृथ्वी के नीचे चोरी गयी वस्तु होती है। चरलग्न-मेष, कर्क, तुला, मकर हों तो चोरी गयी वस्तु किसी अन्य स्थान पर; स्थिर-वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ हों तो चोरी गई वस्तु उसी स्थान पर (घर के भीतर ही) और द्विस्वभाव-मिथुन, कन्या, धनु, मीन हों तो घर के आस-पास बाहर कहीं चोरी गयी वस्तु होती है। मेष, कर्क, तुला और मकर लग्न राशियों के होने पर चोर का नाम दो अक्षर का; वृष, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ राशियों के होने पर चोर का नाम तीन-चार अक्षरों का एवं मिथुन, कन्या, धनु और मीन लग्न राशियों के होने पर चोर का नाम तीन अक्षरों का होता है।
___ अन्धलोचन संज्ञक नक्षत्रों में वस्तु की चोरी हुई हो तो शीघ्र मिलती है। मन्दलोचन संज्ञक नक्षत्रों में चोरी गयी वस्तु प्रयत्न करने से मिलती है। मध्यलोचन संज्ञक नक्षत्रों में चोरी गयी वस्तु प्रयत्न करने से मिलती है या खोयी हुई वस्तु का पता बहुत दिनों में लगता है। सुलोचन संज्ञक नक्षत्रों में चोरी गयी वस्तु कभी नहीं मिलती। अन्धलोचन नक्षत्रों में चोरी गयी या खोयी हुई वस्तु पूर्व दिशा में, काण संज्ञक नक्षत्रों में दक्षिण दिशा में, चिपटलोचन संज्ञक नक्षत्रों में पश्चिम दिशा में एवं सुलोचन संज्ञक नक्षत्रों में चोरी गई वस्तु उत्तर दिशा में होती है। माघ, पूर्वाफाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रों में खोई वस्तु घर के भीतर; हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रों में खोयी वस्तु घर से दूर-४, ७, १०, १७, २१, २३, २४, २५, ३०, ३४, ४३ और ४५ कोश की दूरी पर; शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी और भरणी नक्षत्रों में खोयी वस्तु घर में या घर के आस-पास पड़ोस में ५० गज की दूरी पर एवं कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और आश्लेषा नक्षत्रों में खोयी वस्तु बहुत दूर चली जाती है और कभी नहीं मिलती।
अन्ध-मन्दलोचनादि नक्षत्र बोधक चक्र
शिरा
उत्तरा| रोहिणी पुष्य फालनी विशाखा पूर्वाषाढ़ा धनिष्ठा रेवती अन्ध लोचन | मृग- आश्लेषा हस्त अनुराधा उत्तरा- शतभिषा अश्विनी मन्दलोचन या
षाढ़ा
चिपटलोचन आर्द्रा मघा चित्रा ज्येष्ठा अभिजित् पूर्वा- भरणी मध्यलोचन या
भाद्रपद
काणलोचन पुनर्वसु पूर्वा- स्वाति मूल श्रवण उत्तरा- कृत्तिका सुलोचन फाल्गुनी
भाद्रपद यदि प्रश्नकर्ता कपड़ों के भीतर हाथ छिपाकर प्रश्न करे तो घर का ही चोर और बाहर हाथ कर प्रश्न करे तो बाहर के व्यक्ति को चोर समझना चाहिए। चोर का स्वरूप, आयु, कद एवं अन्य बातें अवगत करने के लिए इस ग्रन्थ का चोर तथा योनि विचार प्रकरण देखना चाहिए।
प्रस्तावना: ५३