Book Title: Kevalgyan Prashna Chudamani
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 162
________________ में प्रश्नाक्षरों का आद्य वर्ग शवर्ग नद्यावर्त क्रम से कवर्ग को प्राप्त होता है। अभिधूमित वेला के प्रश्न में प्रश्नाक्षरों का आद्य वर्ण शवर्ण अश्वमोहित क्रम से चवर्ग को प्राप्त होता है। दग्ध वेला के प्रश्न में प्रश्नाक्षरों का आद्य वर्ग शवर्ग गजगति से टवर्ग को प्राप्त होता है। उत्तराक्षर उत्तर स्वरसंयुक्त प्रश्नवर्गों के होने पर प्रश्न का आद्य वर्ग शवर्ग सिंह दृष्टि की गति से पवर्ग को प्राप्त होता है। शवर्ग के अभिघातित प्रश्न के होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग मण्डूकप्लवन गति से अवर्ग को प्राप्त होता है। उत्तर वर्गों के प्रश्नाक्षरों में प्रश्न का आद्य शवर्ग टवर्ग को प्राप्त होता है। अधर मात्रा संयुक्त उत्तर वर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर गजगति से प्रश्न का आद्य शवर्ग तवर्ग को प्राप्त होता है। अधरोत्तर मात्रा संयुक्त उत्तर वर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग सिंहावलोकन क्रम से कवर्ग को प्राप्त होता है। उत्तर मात्रा संयुक्त अधर वर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग गजगति से अवर्ग को प्राप्त होता है। अधर मात्रा संयुक्त अधर वर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर नद्यावर्त क्रम से शवर्ग पवर्ग को प्राप्त होता है। अE रोत्तर मात्रासंयुक्त अधर वर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग अश्वमोहित क्रम से यवर्ग को प्राप्त होता है। अधरोत्तराधर मात्रासंयुक्त अधरवर्गों के प्रश्नाक्षर होने पर शवर्ग मण्डूकप्लवन गति से अपने वर्ग-शवर्ग को प्राप्त होता है। अभिहत प्रश्नाक्षरों के होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग गजगति से कवर्ग को प्राप्त होता है। अनभिहत प्रश्नाक्षरों के होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग सिंहावलोकन क्रम से चवर्ग को प्राप्त होता है। संयुक्त प्रश्नाक्षरों के होने पर प्रश्न का आद्य शवर्ग अश्वमोहित क्रम से टवर्ग को प्राप्त होता है। असंयुक्त और दग्ध प्रश्न वर्गों के होने पर मण्डूकप्लवन गति से शवर्ग कवर्ग को प्राप्त होता है। ग्रन्थकारोक्त शवर्ग चक्र अधरोत्त'रक्रमेण द्रष्टव्यम् । अभिहतेऽवर्गे उत्तराक्षरे पवर्ग, अधराक्षरे टवर्गमनभिहतेऽवर्ग'मुत्तराक्षरेऽधराक्षरेऽधरस्वरसंयुक्त वा स्ववर्ग प्राप्नोति। अनभिहते। चवर्गे उत्तराक्षरेऽधरस्वरसंयुक्ते वा स्ववर्गं प्राप्नोति । अनभिहते* (अभिहते) चवर्गे उत्तराक्षरे चवर्गम्, अधराक्षरेऽवर्गम्, अनभिहते पवर्गे उत्तराक्षरेऽधराक्षरेऽधरस्वरसंयुक्त वा स्ववर्ग प्राप्नोति। अनभिहते 'श" उत्तराक्षरे अधराक्षरे वाऽधरस्वरसंयुक्ते चवर्गं प्राप्नोति, द्वयोः सिंहावलोकनक्रमेण पश्यन्तः । शवर्गश्च मण्डूकप्लुत्या स्ववर्गं प्राप्नोति । इति शवर्गचक्रम् । ___ अर्थ-अधरोत्तर क्रम से शवर्ग का विचार करना चाहिए। अभिहत अवर्ग उत्तराक्षरों में शवर्ग पवर्ग को प्राप्त होता है। अधराक्षर प्रश्न वर्गों के होने पर टवर्ग को प्राप्त होता १. अधरा अधरोत्तरक्रमेण द्रष्टव्याः-क. मू.। २. अवर्गे-क. मू.। ३. अनभिहते-अभ्यतिवर्गे उत्तराक्षरे पवर्ग, कवर्गे उत्तराक्षरे शवगं, अधराक्षरे स्ववर्ग प्राप्नोति। ४. अभिहते च वर्गे उत्तराक्षरे अधरस्वरसंयुक्ते वा स्ववर्ग प्राप्नोति-क. मू.। ५. शवर्गे-ता. मू.। ६. पश्यतः-क. मू.। तुलना-वृ.ज्यो. ४।२६४-३०८ । १६० : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि

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