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(Berylium), मग्नीशक (Magnesium), कालक ( Calcium), वेरक (Barium), कदमक (Cadmium) एवं जस्ता ( Zincum) की चिन्ता; बुध लग्नेश हो या मित्र भाव में स्थित हो अथवा लग्न स्थान के ऊपर त्रिपाद दृष्टि हो, अन्य ग्रह त्रिकोण ५। ६ और केन्द्र (लग्न, ४। ७।१०) में हों तथा व्यय भाव में कोई ग्रह नहीं हो तो पारद (Mercury), स्कन्दक (Scandium), इत्रिक, (worium), लन्थनक (Lanthanum), इत्तविक ( Ytterbium), अलम्यूनियम (Aluminium), गलक (Gallium), इन्दुक (Indium), थल्लक (Thallium), तितानक (Titanium), शिर्कनक (Zirconium), सीरक (Cerium) एवं वनदक (Vanadium), की चिन्ता; बृहस्पति लग्न में स्थित हो, बुध लग्नेश हो, शनि तृतीय भाव में स्थित हो, सूर्य सिंह राशि में हो और बृहस्पति मित्रगृही हों तो जर्मनक ( Germanium), रंग (Stannum), सीसा (Lead), नवक (Niobium), आर्सेनिक ( Arsenicum), आन्तिमनि (Stibium), विषमिथ (Bismuth), क्रीमक ( Chromcum), मोलिदक (Molybdenum), तुङ्गस्तक (Tungsten) एवं वारुणुक (Vranium) की चिन्ता; शनि लग्न में स्थित हो, बुध मकर राशि में स्थित हो, शुक्र कुम्भ या वृष राशि में हो, लग्नेश शनि हो और चतुर्थ, पंचम और सप्तम भाव में कोई ग्रह नहीं हो तो मंगनक (Manganese), लौह ( Iron), कोबाल्ट (Cobalt), निकेल (Nickel), रुथीनक ( Ruthenium), पल्लदक (Palladium), अश्मक (Osmium), इरिदक (Iridium), प्लातिनक (Platium) और हेलिक (Helium) की चिन्ता; राहु धन राशि में स्थित हो, लग्न में केतु हो, नवम भाव में गुरु स्थित हो और ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो क्षार नमक (Salt), बुनसेन ( Bunsen ), चाँदी ( Silver) और हरताल की चिन्ता एवं चक्रार्द्ध में सभी ग्रहों के रहने पर लौह भस्म, ताम्र भस्म और रौप्य भस्म की चिन्ता कहनी चाहिए। अथवा प्रश्नाक्षरों पर से पहले धातु योनि का निर्णय करने के अनन्तर धाम्य और अधाम्य धातु योनि का निर्णय करना चाहिए । धाम्य योनि के सुवर्ण, रजतादि आठ भेद कहे गये हैं। उत्तराक्षर प्रश्न श्रेणी वर्गों के होने पर घटित और अधराक्षर होने पर अघटित धाम्य योनि कहनी चाहिए ।
घटितयोनि के भेद और प्रभेद
तत्र घटितः' त्रिविधः - जीवाभरणं गृहाभरणं नाणकञ्चेति । तत्र द्विपदाक्षरेषु द्विपदाभरणं; त्रिविधं–देवताभरणं मनुष्याभरणं पक्षिभूषणमिति । तत्र नराभरणं शीर्षाभरणं कर्णाभरणं नासिकाभरणं २ ग्रीवाभरणं कण्ठाभरणं ३ हस्ताभरणं जंघाभरणं पादाभरणमित्यष्टविधम् । तत्र शीर्षाभरणं किरीटघट्टिकार्धचन्द्रादयः । कर्णाभरणं कर्णकुण्डलादयः । नासिकाभरण* नासामण्यादयः । ग्रीवाभरणं कण्ठिकाहारादयः । कण्ठाभरणं १. तुलना - के. प्र. र. पृ. ६६-७१ । ग. म. पृ. ६-७ । आ. ति. पृ. १५ । दै. का. पृ. २२८ । रा प्र पृ. २५-२६ । ध्व. ग.प ७ । प्र. कु. पृ. १४ । के, हो ह. पृ. ६०-६१।
२. नासिकाभरणं-पाठो नास्ति - क. मू. ।
३. कण्ठाभरणमिति नास्ति - क. मू. ।
४. नासिकाभरणं नासामण्यादय इति पाठो नास्तिक. मू. ।
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १०६