Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 9
________________ अधिक पढ़ने-लिखनेवालो गुरुजनों की बातों का को भीख मांगनी पड़ती है। बनारसीदास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। सन 1604६. एक पुत्री हुई पर कुछ दिनों में ही उसका देहांत होगया। ल्यवान पत्थरों SAMका व्यापारकरते ये (लीगभी शुष्क पत्थर (होगए है। बनारसीदास की कोई भी संतान अधिक दिन जीवित नहीं रही। अपनी दुष्पवृत्तियों के कारण वह शायद उनके यौन-रोग के कारण ही ऐसा हुआ होगा। पुनः बीमार पड़ गए। बैद्य की राय से 20 दिनों तक रोटी .....मुझे मुझे खाने को चाहे मतदो, किन्तु बनारसी दास को भोजन नहीं रोटी खिलाओ। केवल रोटी मेरी आँखों के सम्मुख दिया गया। रखदो। 10 रेसे तो मैं रोटी के बारे में सोच सोच कर ही पागल हो जाउंगा। नहीं। ऐसी हालत में रोटी जहर है। आधा सेरवजनकी दो बनारसीदासने दोनों रात को जबसब (मै चाहेमरंया जियूस मोटी रोटियां उन्हेंदी रोटियां तकिए के नीचे | सोरहे थे। (इनरोटियों कोजरूर गई। रख ली। प्रवाऊंगा। (लीजिए, खाइऐगा) बिल्कुल नहीं।

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