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पुनः आगरा में व्यवसाय कपड़े के व्यापार में किया। शुरू घाटा हुआ।
यह कपड़ा देखिए...
घटिया है। बेकार ही इसे धुलवा कर और ढो कर ले आए।
अब समझ में आता है कि रत्नजवाहरातों के धन्धे में ही लाभ संभव है।
मैं तो दिवालिया हो गया हूं। न हाथ में पैसा, न ठौरठिकाना।
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शाहजाद पुर से एक हमाल करके तीनो पैदल ही चले ।
BAALA
व्यापार में जो थोड़ा लाभ हुआ वह खर्च हो गया और बनारसी दास फिर फक्कड़ होगए।
जमा - खर्च बराबर ।
मित्र, तुम मेरे भाई की तरह हो । मेरे घर पर ही रहो।
दो रचनाएं अजितनाथ के छंद' और 'नाममाला' लिखने में व्यस्त हो गए।
कैसी तेज चांदनी खिली है।) सबेरा होने में ज्यादा देर नहीं हो
बनारसीदास अपने मित्र नरोत्तमदास से मिले ।
नरोत्तम दास, उनके. 'श्वसुर और बनारसीदास काम के सिलसिले में पटना चले ।
चांदनी के भ्रम में जल्दी निकल पड़े थे । अंधेरा गहराया। रास्ता भूल कर घने जंगल में पहुंच
गए।
(रास्ता भूल गये।