Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 20
________________ अरेबापरे! मेरीR ATE छातीतोप डाकुओको जरा भी ...हमब्राह्मण नहीं,व्यापारीहे। रात के अंधेरे में उन्हें पता नहीं संदेह होगया कि... तो काट डालेंगे। कर रही है। चला पर अबजल्दी सेब्राह्मण बनने का उपाय करें। MUS बनारसीदास ने सूत निकालकर गीली मिट्टी से तीनोंने भय से कांपते सरदार अपने अनुचरों तीनजने बनाया। बडेसे तिलक बनाए। किसी तरह सहित दर्शन करना चाहते रात बिताई।। ब्राह्मण बिना अब ठीक हा जने कैसा दिखेगा। त्वमेव माता च पिता त्वमेव V... मेरा आशीर्वाद त्वमेवबंधुश्च सखा त्वमेव..... आइए में जंगलसे बाहर निकलनेका रास्ता दिखाद किधर जानाजफतेपुर ।....हम चाहेंगे? फतहपुर जाना है। (अच्छाचलता दीर्घजीवीभव उनवक्षों के उसपार) (फतेपूर है। हूं

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